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सिर्फ 3 बार इस्तेमाल और संतान सुख का सपना अब होगा पूरा! रामलोटन के औषधीय ज्ञान को PM ने भी किया सलाम

सतना. एमपी के सतना जिले के छोटे से गांव के निवासी रामलोटन कुशवाहा ने एक अनोखा कदम उठाते हुए निसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति की उम्मीद दी है. उन्होंने पुत्रजीवा और धनमंत्री पेड़ों के बीजों और जड़ी-बूटियों के उपयोग को न केवल देश में बल्कि विदेशों तक पहुंचाया है. उनके औषधीय ज्ञान के चलते उन्हें प्रधानमंत्री भी सम्मानित कर चुके हैं.

पुत्रजीवा: संतान प्राप्ति के लिए चमत्कारी पेड़
पुत्रजीवा पेड़ को संतान प्राप्ति के लिए एक पवित्र पेड़ माना जाता है. रामलोटन कुशवाहा का दावा है कि इस पेड़ के बीज और छाल का सही तरीके से सेवन करने से महिलाओं में गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने लोकल 18 को बताया कि अब तक 20 से अधिक परिवारों ने इस उपाय का लाभ उठाया है और उनमें से सभी को पुत्र प्राप्ति का सौभाग्य मिला है.

उनके अनुसार, इस पेड़ की छाल को महीन पीसकर दूध में मिलाकर एक चम्मच का सेवन यदि महिलाएं महीने में तीन बार करती हैं, तो उनके गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है

धनमंत्री पेड़: पुरुषों के लिए वरदान
पुरुषों की प्रजनन क्षमता बढ़ाने में धनमंत्री पेड़ की छाल को बेहद लाभकारी माना गया है. रामलोटन के अनुसार, इस पेड़ की छाल को दूध में मिलाकर सेवन करने से वीर्य की गुणवत्ता में सुधार होता है. इसे पुराने समय में ‘सोनभस्म’ के नाम से जाना जाता था. इसके अलावा कलाकोच नामक पेड़ भी यही लाभ देता था, जिसका उपयोग राजा-महाराजा भी करते थे. यह प्राचीन उपचार सिर्फ संतान प्राप्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे स्वास्थ्यवर्धक औषधि के रूप में भी देखा गया है.

आस्था और विज्ञान का संगम
पुत्रजीवा और धनमंत्री पेड़ की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है. रामलोटन कुशवाहा के अनुसार इन प्राकृतिक उपायों का प्राचीन काल से उपयोग होता आया है और अब इसे आधुनिक समय में नई पहचान मिल रही है. उनके इस प्रयास ने न केवल स्थानीय लोगों को फायदा पहुंचाया है बल्कि यह सतना को औषधीय पौधों के क्षेत्र में एक नई पहचान भी दे रहा है

 

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें.  जगन्नाथ डॉट कॉम किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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