इस साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ रही है, इसलिए उस दिन सोमवती अमावस्या है. साल की पहली सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल को है. सोमवती अमावस्या पर स्नान-दान और पूजा पाठ का विशेष महत्व है, लेकिन उस अवसर पर अपने नाराज पितरों को खुश करने का भी मौका होता है. जिन लोगों के पितर नाराज होते हैं, उनको पितृ दोष लगता है, उनके जीवन में कई संकट आते हैं और उनकी तरक्की बाधित हो जाती है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि सोमवती अमावस्या पर पितरों को खुश करने के क्या उपाय हैं?सोमवती अमावस्या 2024 मुहूर्त
सोमवती अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 8 अप्रैल, सोमवार, तड़के 03:11 एएम सेसोमवती अमावस्या तिथि का समापन: 8 अप्रैल, सोमवार, रात 11:50 पीएम परसोमवती अमावस्या पर स्नान-दान समय: ब्रह्म मुहूर्त 04:32 एएम से
सोमवती अमावस्या पर नाराज पितरों को खुश करने के उपाय
1. सोमवती अमावस्या के दिन प्रात:काल में स्नान कर लें. उसके बाद अपने पितरों को स्मरण करके जल से तर्पण दें. तर्पण में काले तिल, सफेद फूल और कुश का उपयोग करें. तर्पण करने से पितर तृप्त होते हैं और खुश होकर आशीर्वाद देते हैं. उनकी कृपा से वंश, धन, सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है.
2. सोमवती अमावस्या के अवसर पर स्नान और दान के बाद पीपल के पेड़ की जड़ को जल से सींचें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु, शिव जी और ब्रह्म देव का वास होता है. यदि आप पीपल के पेड़ की सेवा और पूजा करते हैं तो आपके पितरों को लाभ होगा. उनके दुखों का अंत होगा और वे मोक्ष प्राप्त कर सकेंगे.सोमवती अमावस्या के दिन आप स्नान-दान करने के बाद अशोक का पौधा लगाएं और प्रतिदिन उसकी सेवा करें. कहते हैं कि अशोक का पेड़ भगवान श्रीहरि विष्णु को प्रिय है. उनकी कृपा से ही व्यक्ति को मोक्ष मिलता है. पितरों को प्रसन्न करने के लिए आप सोमवती अमावस्या पर अशोक का पौधा लगाएं. इस उपाय को पितृ पक्ष में भी करना चाहिए.सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा तो करते हैं, लेकिन इस दिन पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करें और उनके मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करें. उसके बाद इससे मिलने वाले पुण्य को अपने पितरों को अर्पित कर दें. इससे वे खुश होंगे और आपको आशीर्वाद देंगे.. सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करें और शिवलिंग का जलाभिषेक करें. बेल के पेड़ को जल से सींचें और उसमें कलावा बांधें. इस उपाय से पितृ दोष दूर हो सकता है.