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शिमला में मनाया गया साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब ‘कल्चरल कारवां विरासत’ का जोरदार जश्न

शिमला में बिखरे साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब ‘कल्चरल कारवां विरासत’ के रंग
दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन 13 और 14 अक्टूबर, 2024 को सफलतापूर्वक हुआ
भारतीय कला, संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए समर्पित रहा यह कार्यक्रम
भारत भर के जाने-माने कलाकारों ने साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत में की शिरकत

शिमला/ शिमला की खूबसूरत वादियों में भव्य और अत्यंत लोकप्रिय साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब ‘कल्चरल कारवां विरासत’ का आयोजन सफलतापूर्वक हुआ। यह दो दिवसीय कार्यक्रम 13 और 14 अक्टूबर, 2024 को मॉल रोड पर स्थित गेयटी थियेटर में संपन्न हुआ। विभिन्न गतिविधियों ने इस सांस्कृतिक उत्सव की शोभा बढाई, जिनमें शास्त्रीय गायन, गज़ल गायन, पैनल चर्चा, कवि सम्मेलन, नाटक, दास्तानगोई, मुशायरा, कवि सम्मेलन, कव्वाली, शास्त्रीय नृत्य, सूफी और लोक गायन आदि शामिल रहे।

भव्य जश्न को लेकर अपना उत्साह व्यक्त करते हुए, जश्न-ए-अदब के संस्थापक, कुँवर रंजीत चौहान ने कहा, “साहित्योत्सव जश्न-ए-अदब कल्चरल कारवां विरासत 2024 भारतीय कला, संस्कृति और साहित्य का जीवंत उत्सव है। साहित्योत्सव एक ऐसा मंच है, जहाँ भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि का सम्मान किया जाता है। इसके माध्यम से हमारा उद्देश्य भारतीय कला, साहित्य, संगीत और नृत्य की अद्भुत धरोहर को जन-जन तक पहुँचाना है। ऐसे में, हम शिमला के लोगों के दिलों में साहित्य और कला के इस अद्वितीय उत्सव को जीवंत करने और नई पीढ़ी के मन में देश की अनमोल संस्कृति के प्रति सम्मान उत्पन्न का प्रयास कर रहे हैं।”

पहले दिन की शुरुआत रविवार, 13 अक्टूबर को श्री प्रबोध सक्सेना, आईएएस, मुख्य सचिव- हिमाचल प्रदेश सरकार और पद्म भूषण पंडित साजन मिश्रा के करकमलों द्वारा भव्य उद्घाटन समारोह के साथ हुई। इसके बाद, ‘सुर साधना’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसकी बागडोर पद्म भूषण पं. साजन मिश्रा, स्वरांश मिश्रा और प्रसिद्ध हारमोनियम वादक पंडित धर्मनाथ मिश्रा ने संभाली। इसके बाद एक विशेष पैनल चर्चा हुई, जिसमें जाने-माने उपन्यासकार महेंद्र भीष्म और सुश्री भारती ने “हाशिएकृत तृतीयलिंगी समाज: चुनौतियाँ और बदलता परिदृश्य” पर संवाद किया। पद्मश्री डॉ. यश गुलाटी द्वारा सैक्सोफोन की प्रस्तुति ने कार्यक्रम में विशेष आकर्षण जोड़ा। ‘रक्स करती हुई तस्वीर नज़र आई है’ कार्यक्रम में नीलाक्षी राय द्वारा कथक की प्रस्तुति दी गई, और प्रोफेसर दानिश इकबाल ने इसका आख्यान किया। इसके बाद ‘शब्द-भाव कवि सम्मलेन’ का आयोजन हुआ, जिसकी कमान डॉ. ओम निश्चल, महेंद्र अजनबी, वेदप्रकाश वेद, अमन अक्षर, अभिषेक तिवारी और रामायण धर द्विवेदी के हाथों में रही। ‘शाम-ए-कव्वाली’ में नवाज़ साबरी ने अपने समूह के साथ मिलकर दिल छू लेने वाली एक से बढ़कर एक कव्वालियों के माध्यम से चार चाँद लगाए।

दूसरे दिन की शुरुआत पैनल चर्चा से हुई। इस दौरान, डॉ. ओम निश्चल, डॉ. पंकज ललित और डॉ. रहमान मुसव्विर अत्यंत महत्वपूर्ण विषय “हिमाचली साहित्य और हिंदी साहित्य के संगम का हिमाचल प्रदेश पर प्रभाव” चर्चा की। इसके बाद, “अपनी कहानी के अपने किरदार” कार्यक्रम के दौरान मशहूर अभिनेता और लेखक मनु ऋषि चड्ढा ने अपनी दमदार आवाज़ में कहानी वाचन किया। ‘फिल्मी बस्तियाँ शहरी सुपर स्टार’ पर जाने-माने अभिनेता जमील खान व फैज़ल मलिक और दमदार अभिनेता व लेखक मनु ऋषि चड्ढा के साथ कुँवर रंजीत चौहान की बातचीत ने तमाम दर्शकों को अपना बना लिया। इसके बाद, ‘गुदगुदी’ शीर्षक से एक नाटक का मंचन किया गया। यह हिंदी कॉमेडी नाटक मुंशी प्रेमचंद की सबसे मजेदार कहानियों पर आधारित था, जिसका निर्देशन और नाट्यकरण संजीव जौहरी ने किया। पल्लवी सेठ द्वारा भारतीय संगीत के साथ ऑपेरा फ्यूज़न की प्रस्तुति ने शाम में सबसे अलग समाँ बाँधने का काम किया। समापन समारोह के बाद दिलकश ‘सुखन बहार- मुशायरा’ का आयोजन हुआ, जिसमें फरहत एहसास, मदन मोहन दानिश, अज़्म शाकरी, जावेद मुशिरी, कुँवर रंजीत चौहान, डॉ. रहमान मुसव्विर, अमीर इमाम, विकास शर्मा राज़, अनस फैज़ी, हिमांशी बाबरा, शाकिर देहलवी और रंजन निगम जैसे प्रमुख कवि और शायर शामिल हुए।

गौरतलब है कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति और साहित्य को प्रोत्साहित करना और युवा पीढ़ी को इसके महत्व से अवगत कराना था। इस दो दिवसीय उत्सव में आयोजित होने वाली विभिन्न सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों ने शिमला के निवासियों और आगंतुकों को अद्वितीय अनुभव प्रदान किया। देश भर के सभी साहित्य और संस्कृति प्रेमी इस उत्सव में शामिल हुए और इस अद्वितीय यात्रा का महत्वपूर्ण बनें।

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