हिंदू धर्म में प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह दिन शिव आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन विधिविधान से शिवजी की पूजा-अर्चना से जीवन के समस्त दुखों से छुटकारा मिलता है। पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। अक्टूबर माह त्योहारों की मामले में बेहद खास रहने वाला है। इस माह की शुरुआत नवरात्रि,दशहरा,करवा चौथ,धनतेरस और दिवाली समेत कई प्रमुख त्योहार मनाए जाएंगे। साथ ही एकादशी, प्रदोष समेत कई व्रत भी रखे जाएंगे। अक्टूबर माह में दो प्रदोष पड़ने वाले हैं। आइए जानते हैं अक्टूबर माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत की सही तिथि और मुहूर्त
अक्टूबर माह का पहला प्रदोष व्रत : द्रिक पंचांग के अनुसार, अक्टूबर माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 अक्टूबर को सुबह 03 बजकर 42 मिनट पर शुरू हो रही है। जिसका समापन 16 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 19 मिनट पर होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, पहला प्रदोष व्रत 15 अक्टूबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा। मंगलवार होने के लिए कारण इस व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। रोगों से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भौम प्रदोष व्रत लाभकारी माना जाता है।
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त : 15 अक्टूबर को भौम प्रदोष व्रत के दिन सायंकाल पूजा का प्रदोष मुहूर्त शाम 05 बजकर 51 मिनट से लेकर शाम 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। प्रदोष काल में शिवपूजा बेहद शुभ माना जाता है।
अक्टूबर माह का दूसरा प्रदोष व्रत : द्रिक पंचांग के अनुसार, अक्टूबर माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर हो रहा है और 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर समापन होगा। इसलिए प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त में ध्यान में रखकर 29 अक्टूबर दिन मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त : 29 अक्टूबर को भौम प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल पूजा का मुहूर्त शाम 05 बजकर 38 मिनट से लेकर 08 बजकर 13 मिनट तर रहेगा।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।