धर्म

नवरात्रः मां दुर्गा का डोली पर आगमन, हाथी पर प्रस्थान, क्यों ज्योतिषी कह रहे शुभ संकेत नहीं

शारदीय नवरात्र की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। मुहल्लों-मुहल्लों में पंडाल बन रहे हैं। इस वर्ष देवी का आगमन और प्रस्थान दोनों ही कष्टकारी सिद्ध होने वाला है। देवी डोली पर सवार होकर आएंगी और हाथी पर प्रस्थान करेंगी। डोली पर आगमन का अर्थ अतिशय कष्ट और विपत्तियों का आना है जबकि हाथी पर प्रस्थान अत्यधिक वर्षा का सूचक है। नवरात्र का आरंभ आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तीन अक्तूबर को होगा। इस वर्ष नवरात्र में चतुर्थी तिथि की वृद्धि है। यह दो दिन रहेगी। वहीं नवमी तिथि का क्षय भी है।ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार महाअष्टमी और महानवमी 11 अक्तूबर को ही पड़ेगी। महाष्टमी तिथि 10 अक्तूबर को प्रात 0729 पर लगेगी जो 11 अक्तूबर को प्रात 06 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। ऐसे में महागौरी, माता अन्नपूर्णा की परिक्रमा 11 अक्तूबर को प्रात 0652 मिनट से पूर्व करना चाहिए। इसके बाद 06 बजकर 52 मिनट से नवमी तिथि लग जाएगी जो 12 अक्तूबर की भोर 05 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। उसके बाद दशमी तिथि रहेगी। हवन-पूजन आदि नवमी में करना चाहिए। नवरात्र व्रत का पारन 12 अक्तूबर को किया जाएगा।

कलश स्थापना का मुहूर्त

शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तीन अक्तूबर को कलश स्थापन का मुहूर्त प्रात 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 09 बजकर 30 मिनट तक है। उसके बाद अभिजीत मुहूर्त दिन में 1137 से 1223 दिन तक अति शुभ रहेगा। प्रात से शाम तक में कभी भी घट स्थापन किया जा सकता है। शास्त्रत्तनुसार प्रात घट स्थापन की विशेष महत्ता है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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