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यूपी में स्मार्ट मीटर को लेकर आई राहत वाली खबर, ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा कोई बोझ

उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर परियोजना की लागत 27342 करोड़ रुपये की वजह से बिजली दरें बढ़ने की जो आशंकाएं थी, वह समाप्त हो गई हैं। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर होने वाले किसी भी खर्चे को बिजली दर, बिजली कंपनियों के एआरआर अथवा ट्रूअप में शामिल करने से इंकार कर दिया है। आयोग ने स्पष्ट कहा है कि इस खर्चे को किसी भी रूप में बिजली उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जा सकता है।अब बिजली कंपनियों द्वारा आयोग में दाखिल 2024-25 के लिए अपने सालाना खर्चे में जो घाटा दिखाया गया है, एकमात्र वही एक आधार है जो बिजली दरें बढ़ाये जाने का कारण बन सके। हालांकि बिजली कंपनियों की तरफ से सीधे तौर पर बिजली दरें बढ़ाने का कोई प्रस्ताव आयोग को नहीं दिया गया है। बिजली कंपनियां अपने सालाना खर्चे में दिख रहे घाटे की भरपाई की मांग कर रही हैं 

उपभोक्ता परिषद ने आयोग के अध्यक्ष के प्रति जताया आभार

शुक्रवार को प्रीपेड स्मार्ट मीटर की लागत से संबंधित नियामक आयोग का फैसला आने पर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर उपभोक्ताओं की तरफ से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद लंबे समय से इसके लिए लड़ाई लड़ रहा था। 

 

 

आयोग का फैसला आने के बाद यह तय हो गया कि 27 हजार करोड़ रुपये से अधिक लागत की स्मार्ट प्रीपेड मीटर परियोजना को किसी भी रूप में बिजली उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। आयोग का कहना है कि बिजली कंपनियां कलेक्शन एफिशिएंसी और दक्षता के आधार पर इसकी भरपाई स्वयं करें।

 

 

भारत सरकार से 18885 करोड़ अनुमोदित टेंडर 27342 करोड़ का

स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना के लिए भारत सरकार से अनुमोदित धनराशि 18885 करोड़ रुपये है, लेकिन बिजली कंपनियों ने जो टेंडर अवार्ड किया है, वह 27342 करोड़ रुपये का है। बिजली कंपनियां इतनी बड़ी धनराशि का इंतजाम कैसे होगा, इस पर नये सिरे से विचार करेंगी।

 

Manoj Mishra

Editor in Chief

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