श्रावण मास, शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर शुक्रवार को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन पहाड़ी मंदिर में श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ और नाग देवता की पूजा करेंगे। पहाड़ी मंदिर में इस पूजा की तैयारी की जा रही है। यहां नाग देवता के लिए अलग मंदिर (नाग गुफा) है। नाग पंचमी के दिन बड़ी संख्या में भक्त नाग देवता को धान का लावा और दूध अर्पित कर उनकी आरती उतारेंगे। आठ नागों की पूजा करने का विधानमान्यता के अनुसार इस दिन बाबा भोलेनाथ के संग नाग देवता की पूजा करने से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खासकर पितृ दोष और कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है। इस दिन काल सर्प दोष निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान कर इससे मुक्ति पायी जाती है। इसके साथ ही जो भी इस दिन नाग देवता की पूजा करता है, उसकी मृत्यु कभी सांप के काटने से नहीं होती है। इस दिन अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक आठ नागों की पूजा करने का विधान है।
प्रकृति पूजा से जुड़ा पर्व
हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार प्राचीन काल से ही नाग देव को सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। यह प्रकृति पूजा से जुड़ा पर्व भी है। इस दिन नाग देव को दूध से स्नान कराकर उनकी पूजा की जाती है। नाग देव को दूध पिलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर सांप की मूर्ति बनाने की भी परंपरा है। माना जाता है कि यह घर को सांप के प्रकोप से बचाता है।
शुक्रवार को उदया तिथि
नागपंचमी तिथि 8 अगस्त की रात्रि 12:36 बजे, यानी शुक्रवार 9 अगस्त से आरंभ होगी। यह अगले दिन 10 अगस्त की सुबह 3:36 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि शुक्रवार को पड़ने से त्योहार 9 को मनाया जाएगा।
पितृ और कालसर्प दोष से मुक्ति
पंडित रामदेव पाण्डेय ने बताया कि मान्यता के अनुसार नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से नाग या कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। नाग देव की पूजा करने से व्यक्ति को भविष्य में सर्पदंश का सामना नहीं करना पड़ता। कालसर्प दोष व्यक्ति इस दिन श्री सर्प सूक्त का पाठ कर इससे मुक्ति पा सकते हैं। जबकि, पितृदोष निवारण के लिए व्यक्ति को नागपंचमी के दिन विशेष पूजा करनी होती है।