सरिया तहसील में पटवारी का कानून चलता है। दो-चार पटवारियों ने वहां की जमीनों का भाग्य बदल दिया है। जब जिसे चाहा बिकवा दिया, या टुकड़े करवा दिए। शासकीय आवंटन भूमि को बेचने के लिए एक पटवारी ने रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर उसे भूमि स्वामी हक की बना दिया। इसके बाद रजिस्ट्री करवा दी। कलेक्टर ने जांच के बाद पटवारी को सस्पेंड कर दिया है।नए-नवेले जिले सारंगढ़-बिलाईगढ़ का सेटअप भले ही नया है, लेकिन वहां के पटवारी पुराने खिलाड़ी हैं। अलग जिला बनते ही उनकी लॉटरी लग गई। सरिया तहसील में तो एक से बढक़र एक कारनामे किए गए हैं। कोई भी कलेक्टर नए जिले में आकर सैटल नहीं हो पाते थे इस दौरान पटवारी अपना काम कर जाते थे। किसी को पता भी नहीं चलता था। इस बीच तहसीलदार और पटवारी मिलकर कलेक्टर की अनुमति के प्रावधान को बायपास कर दिया। सरिया के बिलाईगढ़ स गांव में शासकीय आवंटन भूमि को ही बदल डाला।
पटवारी संजीव त्रिपाठी ने दुखु पोबिया को शासन से जीवन-यापन के लिए शासकीय पट्टे पर मिली जमीन के राजस्व अभिलेखों में छेड़छाड़ कर दी। शासकीय पट्टेदार से भूमि स्वामी अहस्तांतरणीय भूमि को हटाकर भूमि स्वामी हक में दुरुस्त कर दिया। दुखु को 276/10 रकबा 0.4080 हे., 276/13 रकबा 0.8100 हे. और खनं 276/14 रकबा 0.1820 हे. प्राप्त हुई थी। उसकी मृत्यु के बाद पुत्र मुरली पाव के नाम पर जमीन ट्रांसफर हो गई। मुरली ने तीनों जमीनों को खगेश्वर रात्रे पिता परसुराम रात्रे निवासी जलगढ़ को बेच दीं। इस मामले में कलेक्टर धर्मेश साहू ने पटवारी संजीव त्रिपाठी के कृत्य को बेहद गंभीर मानते हुए उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
नामांतरण करने वाला तहसीलदार अटैच
रजिस्ट्री के बाद तहसीलदार शनि पैकरा ने दो जमीनों का नामांतरण कर दिया। खनं 276/13 और 276/14 का नामांतरण खगेश्वर के नाम किया जा चुका है। इस बीच कलेक्टर ने तहसीलदार को तीसरी भूमि का नामांतरण रोकने को कहा। खनं 276/10 की रजिस्ट्री 5 जून 2024 को हुई है। नामांतरण रोकते हुए शासकीय पट्टे की जमीन बिना अनुमति बेचे जाने का प्रकरण दर्ज किया गया। इस मामले में बिक्री नकल देने वाले पटवारी की भूमिका भी संदेहास्पद है। सरिया क्षेत्र में राजस्व अभिलेखों से छेड़छाड़ के कई और मामले भी सामने आ रहे हैं