पूजा खेडकर की दिव्यांगता और गैर-क्रीमी ओबीसी कोटे को लेकर चल रहे विवाद के बाद, अब अलग-अलग कोटे से चयनित कई IAS, IPS और IRS अधिकारियों के चयन पर सवाल उठ रहे हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर यूजर्स कुछ अफसरों की डिटेल्स शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि उन्होंने गलत जानकारी देकर यूपीएससी परीक्षा में फायदा उठाया है. हालांकि, आजतक सोशल मीडिया पर किए गए दावों की पुष्टि नहीं करता है.सोशल मीडिया यूजर आयुष सांघी ने अपने एक्स अकाउंट पर छ IAS/IPS अफसरों पर के सिलेक्शन पर सवाल किए हैं. इनमें साल 2015 बैच की दृष्टिबाधित (वीआई) दिव्यांगता वाली आईएएस अधिकारी निकिता खंडेलवाल भी शामिल हैं. सांघी ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करके दावा किया गया था कि उन्होंने दृष्टिबाधित होने के बावजूद ड्राइविंग टेस्ट दिया.IAS निकिता खंडेलवाल ने बताई ‘ड्राइविंग टेस्ट’ के पीछे की सच्चाई
सोशल मीडिया यूजर आयुष सांघी के दावे के बाद, निकिता खंडेलवाल ने साफ किया है कि वह निरीक्षण के दौरान आरटीओ ऑफिस गई थीं और एक्स पर पोस्ट किया गया वीडियो उसी की जर्नी का था. उन्होंने कहा कि लोगों को केवल रेंडम दावों को देखकर किसी की दिव्यांगता को जज नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा, “अगर यूपीएससी में एक कथित फर्जी सर्टिफिटेक का मामला (पूजा खेड़कर का जिक्र करते हुए) सुर्खियों में आया है तो इसका यह मतलब नहीं है कि लोगों को सभी दिव्यांग लोगों का जज करना चाहिए. ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपनी दिव्यांगता के बावजूद यूपीएससी पास करने के लिए संघर्ष किया है और वास्तव में कड़ी मेहनत की है. सभी दिव्यांग का मीडिया ट्रायल नहीं होना चाहिए.”
IAS की अपील- बेवजह सभी दिव्यांगों को जज न करें
निकिता ने इंडिया टुडे से कहा, “मैं निरीक्षण के लिए आरटीओ ऑफिस गई थी. लोगों को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. यह मुझे पता है कि मैं कितना देख सकती हूं और कितना नहीं. अगर मैं कुछ कर रही हूं या बिना चश्मे के टीवी देख रही हूं, तो मुझे किस तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, यह सिर्फ मैं ही समझ सकती हूं. मेडिकल बोर्ड इसके लिए सर्टिफिकेट देता है. इसलिए, बोर्ड जवाबदेह है. लोग कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि अगर किसी को कोई दिव्यांगता है, तो उसे दिखाया जाना चाहिए? अगर किसी को कोई समस्या है और वह दिखाई नहीं दे रही है, तो उसका पता नहीं लगाया जा सकता है.”
उन्होंने आगे कहा, “यह बिल्कुल ऐसा है जैसे किसी से यह साबित करने के लिए कहा जाए कि आपके पास किड़नी है या नहीं. अगर मेरी दिव्यांगता पर सवाल किया जाएगा तो मैं सभी संबंधित डॉक्यूमेंट्स के साथ अधिकारियों को जवाब दूंगी, लेकिन लोगों को ऐसे दावे नहीं करने चाहिए.”
यूजर ने इन अफसरों पर भी उठाए सवाल
सोशल मीडिया (X) यूजर आयुष सांघी ने यह भी दावा किया कि कुछ अन्य अधिकारी भी यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए ‘फर्जी’ दिव्यांगता प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कई ट्वीट्स की एक सीरीज में दावे किए कि-
IAS अभिषेक सिंह बैच – 2010 (AIR-94) कोटा – जनरल (लोकोमोटिव दिव्यांगता) उनके सोशल मीडिया अकाउंट के मुताबिक वे कई फिल्मों में काम कर रहे हैं, यूट्यूब वीडियो बना रहे हैं, वर्कआउट कर रहे हैं और वे सब कुछ कर रहे हैं जो लोकोमोटिव दिव्यांग नहीं कर सकते.
2. आसिफ के युसूफ (आईएएस) बैच- 2020 बैच- 2020 (आईएएस) कोटा – ईडब्ल्यूएस वे एक फर्जी ओबीसी एनसीएल सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करके एक आईएएस अधिकारी बन गए, और 2020 में सभी जांच के बाद, यह साबित हो गया है कि उन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल करके आईएएस पद हासिल किया था.
3. प्रियांशु खटी (आईएएस) बैच – 2021 कोटा: जनरल (ऑर्थोपेडिकली हैंडीकैप्ड) उन्हें ओएच (ऑर्थोपेडिकली हैंडीकैप्ड) कैटेगरी के तहत भर्ती किया गया था, और कई लोगों का दावा है कि प्रियांशु पूरी तरह से फिट हैं, जैसा कि सोशल मीडिया पर कई पोस्ट से साफ है.” इस मामले में इंडिया टुडे ने डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) से जवाब लेने की कोशिश की, लेकिन सोशल मीडिया पर किए गए दावों पर उनके जवाब का अभी भी इंतजार है.