आषाढ़ अमावस्या का पावन पर्व 5 जुलाई शुक्रवार को है. आषाढ़ अमावस्या के अवसर पर स्नान करने के बाद पितरों की पूजा करने का विधान है. आषाढ़ अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, लेकिन आप नदी स्नान नहीं कर पाते हैं तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं. अमावस्या को स्नान के बाद पितरों की पूजा करते हैं और उनकी तृप्ति के लिए कई उपाय करते हैं, जिसमें तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, पंचबलि कर्म आदि शामिल है. आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों के लिए दीपक भी जलाते हैं. पितरों के लिए दीपक क्यों जलाते हैं? इसका समय क्या है? पितरों के लिए दीपक जलाने का नियम क्या है? इनके बारे में बता रहे हैं श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी
पितरों की तृप्ति का दिन है आषाढ़ अमावस्या
ज्योतिषाचार्य डॉ. तिवारी का कहना है कि धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितर पितृ लोक से धरती पर आते हैं. वे इस उम्मीद से धरती पर आते हैं कि उनके वंश से जुड़े लोग उनको जल अर्पित करेंगे यानी तर्पण करेंगे. उनके लिए दान देंगे, ब्राह्मणों को भोजन कराएंगे, गाय, कौआ, कुत्ता, चिड़िया आदि को भोजन देंगे. इससे पितर खुश होते हैं, तृप्त होते हैं और अपने वंश को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
पितरों के लिए क्यों जलाते हैं दीपक?
पितर दिन में पृथ्वी लोक पर आ जाते हैं, लेकिन जब वे पृथ्वी से लौट रहे होते हैं तो उस समय शाम होती है और चारों ओर अंधेरा छा जाता है. पितरों को पितृ लोक वापस लौटने में कोई परेशानी न हो, इस वजह से अमावस्या के अवसर पर उनके लिए दीपक जलाया जाता है. इससे वे खुश होते हैं और वंश के सुखी जीवन के लिए आशीर्वाद देते हैं.
पितरों के लिए दीपक जलाने का समय
आषाढ़ अमावस्या के दिन जब सूर्यास्त हो जाए या फिर दिन ढलने के साथ अंधेरा होने लगे तो उस समय पितरों के लिए दीपक जलाना चाहिए. इसे आप प्रदोष काल में भी जला सकते हैं. आषाढ़ अमावस्या के दिन सूर्यास्त शाम को 07:23 बजे होगा.
पितरों के लिए दीपक जलाने का नियम
1. पितरों को दीपक जलाने के लिए आप मिट्टी के दीए का उपयोग कर सकते हैं. उसे साफ पानी से धोकर सुखा लें.दिन ढलने के समय आप पितरों के लिए दीपक जलाएं. उसमें सरसों का तेल और रुई की बाती का उपयोग करें. सरसों के जगह पर तिल के तेल का भी उपयोग कर सकते हैं. इनमें से जो भी तेल आपके पास आसानी से उपलब्ध हो, उसका इस्तेमाल कर लें.
दीपक जलाकर उसे अपने मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा में रखें. उसे पितरों को समर्पित करें. दक्षिण को पितरों की दिशा मानते हैं.
आषाढ़ अमावस्या 2024 मुहूर्त
आषाढ़ अमावस्या की तिथि का प्रारंभ: 5 जुलाई, शुक्रवार, 04:57 एएम सेआषाढ़ अमावस्या का समापन: 6 जुलाई, शनिवार, 04:26 एएम परब्रह्म मुहूर्त: 04:08 ए एम से 04:48 ए एम तकअभिजित मुहूर्त: 11:58 ए एम से 12:54 पी एम तकसूर्योदय: 05:29 ए एम परसूर्यास्त: 07:23 पी एम पर