रायपुर। छत्तीसगढ़ नक्सलमुक्त होने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। केन्द्रीय गृहमंत्री गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ के उत्तर बस्तर स्थित अबूझमाड़ के पहाड़ी जंगल इलाके को नक्सल मुक्त घोषित कर दिया। यह बड़ी घोषणा उस वक्त की गई जब 170 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया। शाह ने इन सभी का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने हिंसा छोड़कर भारत के संविधान में भरोसा जताया है, यह एक साहसिक और सराहनीय कदम है। वहीं छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने केन्द्रीय गृहमंत्री का आभार जताते हुए कहा कि बीते दो दिनों में 258 नक्सलियों का आत्मसमर्पण इस बात का प्रतीक है कि बंदूक नहीं, विश्वास की शक्ति जीत रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके दी। उन्होंने एक्स पर लिखा कि आज छत्तीसगढ़ में 170, कल 27 और महाराष्ट्र में 61 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। दो दिन में कुल 258 कट्टर नक्सलियों ने हिंसा छोड़ दी है। शाह ने कहा कि यह दिखाता है कि मोदी सरकार की रणनीति से नक्सलवाद अब खत्म होने की कगार पर है। सरकार के अनुसार, यह घटनाएं देश में वामपंथी उग्रवाद के अंत की ओर बढ़ते कदम को दर्शाती हैं।
उत्तर बस्तर और अबूझमाड़ हुए नक्सलमुक्त, बस्तर में शांति और विकास का नया युग
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी आपका आभार, आपने देशभर में चल रहे नक्सल उन्मूलन अभियान की ऐतिहासिक सफलता को रेखांकित किया। बीते दो दिनों में 258 नक्सलियों का आत्मसमर्पण इस बात का प्रतीक है कि बंदूक नहीं, विश्वास की शक्ति जीत रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत आज नक्सलवाद के अंत की दहलीज़ पर है। छत्तीसगढ़ में पिछले 22 महीनों में 477 नक्सली न्यूट्रलाइज किए गए, 2110 ने आत्मसमर्पण किया और 1785 गिरफ्तार हुए हैं जो हमारे छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त करने के अडिग संकल्प का प्रमाण है।

सीएम साय ने कहा कि 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य अब बहुत निकट है। यह परिवर्तन हमारी “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और “नियद नेल्ला नार” योजना की सफलता का प्रमाण है। डबल इंजन सरकार की संवेदनशील नीतियों, बस्तर में स्थापित हो रहे सुरक्षा शिविरों तथा वनांचलों में शासन के प्रति बढ़ते विश्वास ने ही इस सकारात्मक परिवर्तन को संभव बनाया है।
सीएम साय ने कहा कि हमारी सरकार के प्रयासों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अब तक 64 सुरक्षा कैंप स्थापित किए जा चुके हैं, जिनसे न केवल सुरक्षा सुदृढ़ हुई है, बल्कि विकास और विश्वास की किरण भी हर गांव तक पहुँची है। मैं हमारे सुरक्षाबलों के अदम्य साहस और बलिदान को नमन करता हूँ। बस्तर अब भय का नहीं, विश्वास का प्रतीक बन चुका है। अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर नक्सल आतंक से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं, जबकि दक्षिण बस्तर में यह लड़ाई अपने निर्णायक मोड़ पर है। “नियद नेल्ला नार” जैसी योजनाओं ने बस्तर में संवाद, विकास और संवेदना की नई धरती तैयार की है।
सीएम साय ने कहा कि सरकार की नीति दो टूक है, हिंसा का कोई स्थान नहीं। जो नक्सली शांति और विकास का रास्ता चुनना चाहते हैं, उनका स्वागत है। लेकिन जो बंदूक उठाकर समाज में आतंक फैलाने की कोशिश करेंगे, उन्हें हमारी सुरक्षा बलों की सख़्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। हिंसा की राह अंतहीन पीड़ा देती है, जबकि आत्मसमर्पण एक नई शुरुआत का रास्ता खोलता है। मैं सभी नक्सलियों से अपील करता हूँ – अपनी मातृभूमि के भविष्य के लिए, अपने परिवारों के उज्जवल कल के लिए, हथियार छोड़ें और विकास की रोशनी में कदम रखें।
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