मुजफ्फरपुर. वाऱाणसी, उज्जैन और मुजफ्फरपुर तंत्र मंत्र साधना के बड़े केंद्र हैं. नवरात्रि हो या शिवरात्रि इन दिनों में ये साधना और बढ़ जाती है. बिहार के मुजफ्फरपुर में मां पीतांबरा का सिद्धपीठ है. यहां नवरात्रि के दौरान घोर तंत्र साधना होती है. कहते हैं महाकाल की सवारी भैरव खुद यहां पूजा करने आते हैं. मुजफ्फरपुर के इस मंदिर के बारे में कई मिथ हैं.
बिहार का प्रसिद्ध मां पीतांबरी बगलामुखी सिद्धपीठ मुजफ्फरपुर ही नहीं, दूर दूर के इलाकों त् के लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है. मंदिर में स्थापित माता की अष्टधातु की प्रतिमा के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. मान्यता है माता हल्दी और दूब से पूजा करने पर खुश होती हैं. चैत्र नवरात्रि पर मंदिर में पूजा अर्चना शुरू हो गई है. सप्तमी पर मंदिर में देर रात विशेष निशा पूजा की जाती है.
रात में तंत्र साधना
मंदिर के महंत पुजारी देव राज ने लोकल 18 को बताया पीतांबरी बगलामुखी सिद्धपीठ की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है. बताया जाता है मंदिर के ठीक नीचे सर्व मनोकामना सिद्ध ‘सहस्त्र दल महायंत्र’ स्थापित है. इससे यहां आने वाले हर व्यक्ति की मुरादें मां पूरी करती हैं. इस मंदिर की खास बात है कि नवरात्रि में यहां कोलकाता से दर्जनों अघोरी तांत्रिक साधना के लिए जुटते हैं और सुबह होने से पहले तक तंत्र साधना समाप्त करते हैं. इसके लिए मन्दिर के पीछे वाले परिसर में चार हवन कुंड हैं. वहां तांत्रिक तंत्र क्रियाओं को पूरा करते हैं. इस दौरान यहां महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध रहता है.
भैरव करते हैं आरती
ऐसी मान्यता है यहां 21 दिन नियमित दर्शन करने पर मां भगवती भक्त की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं. यहां जब मां की विशेष निशा आरती होती है तब महाकाल की सवारी भैरव यहां कुत्ते के स्वरूप में मौजूद रहते हैं. यहां जितने भी पशु हैं वह सब मां की आरती करते हैं. इसका इतिहास यह है कि बहुत समय पहले आरती के समय एक भैरव (कुत्ता) नहीं रहा था. तब से यहां सभी भैरव(कुत्ता) अपने स्वरूप में मां को आरती भेंट करते हैं.
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