अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर सुहागिन छह जून गुरुवार को ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या युक्त रोहिणी नक्षत्र व धृति योग में वट सावित्री का व्रत करेंगी। इस दिन वट की वृक्ष की पूजा कर महिलाएं देवी सावित्री के त्याग, पति प्रेम और पतिव्रत धर्म का स्मरण करेंगी।
व्रत स्त्रियों के लिए सौभाग्य वर्धक, पापहारक व धन-धान्य प्रदान करने वाला होता है। वट वृक्ष में ब्रह्मा, शिव, विष्णु व सावित्री विराजमान रहती हैं। ज्योतिष आचार्यों के अनुसार, वट सावित्री के दिन सूर्य पुत्र शनि की जयंती मनेगी।
(Vat Savitri Vrat Hindu Panchang) हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पांच जून को शाम 7.54 बजे से आरंभ होगी। तिथि का समापन छह जून को शाम 6.07 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए वट सावित्री व्रत छह जून को मनेगा।वैदिक ग्रंथों में वट वृक्ष को अमूल्य बताया गया है। इसकी जड़, छाल, पत्ता, दूध, छाया मनुष्यों के साथ जीव-जंतुओं के लिए जीवन रक्षक माना गया है।
वट सावित्री व्रत के तीन मुहूर्त (Vat Savitri Vrat Shubh Muhurat)
पूजन मुहूर्त : गुली काल : सुबह 8.24 बजे से 10.06 बजे तक अभिजीत मुर्हूत : सुबह 11.21 बजे से दोपहर 12.16 बजे तक चर लाभ अमृत मुर्हूत : सुबह 10.06 बजे से दोपहर 3.13 बजे तक