ज्येष्ठ माह की शुरुआत वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि के समाप्त होने के बाद शुरू होता है।इस साल ज्येष्ठ माह 24 मई से शुरू हो रहा है। धार्मिक महत्व के लिहाज से देखा जाए तो ज्येष्ठ मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व हैज्येष्ठ माह कृष्ण प्रतिपदा तिथि यानी 24 मई से शुरू हो रही है। इस माह की भी विशेष महात्म्य है। देवों का पूजन अर्चन और खासकर जलपूरित घड़ा दान फलदायी माना गया है। बट सावित्री व्रत, गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी, शनि जयंती सहित करीब 24 व्रत व पर्व मनाए जाएंगे। इसी में भगवान श्रीराम और हनुमान जी मिले तथा भगवान जगनाथ मंदिर के बाहर स्नान वेदी में आएंगे। इस माह में भी पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ेगी तथा निर्जला एकादशी भी गृहस्थों व वैष्णवजनों की दो तिथि पर मनाई जाएगी।हिंदू मास के अलग-अलग महत्व हैं। ज्योतिषविद् विमल जैन और आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार ज्येष्ठ माह में भी हर व्रत व त्योहारों के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा होती है। मगर इसमें गर्मी व तपिश की वजह से दान को विशेष महत्व है। खासकर ऋतुफल, प्याऊ लगाने, पानी पिलाने, सत्तू, वस्त्र, पंखा आदि दान देने से भगवान वामन देव प्रसन्न होते हैं।उन्होंने बताया कि इस मास में ब्रह्मा जी की आटा की मूर्ति बनाकर वस्त्र, धूप, दीप, आभूषण से पूजा करने से करोड़ों वर्ष तक सूर्यलोक में निवास करने का फल मिलता है। इसी मास में 25 मई से नौतपा का नौ दिनों तक प्रभाव आमजन पर पड़ता है।
- 26 मई (रविवार) एकदन्त संकष्टी चतुर्थी।
- 31 मई को (शुक्रवार) शीतला अष्टमी व त्रिलोचन अष्टमी व्रत।
- 2 जून को (रविवार) अचला या अपरा एकादशी।
- 4 जून को (मंगलवार) भौम प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि तथा तीन दिनों का बट सावित्री व्रत का प्रारंभ।
- 6 जून को (बृहस्पतिवार) ज्येष्ठ अमावस्या, वट सावित्री व्रत, शनि जयंती।
- 10 जून (सोमवार) विनायक व उमा चतुर्थी
- 12 जून को (बुधवार) स्कंद षष्ठी, अरण्य गौरी व्रत व शीतला खष्ठी।
- 14 जून को (शुक्रवार) धूमावती जयंती।
- 16 जून (रविवार) गंगा दशहरा।
- 17 जून (सोमवार) निर्जला या भीमसैनी एकादशी (गृहस्थों का), गायत्री जयंती।
- 18 (मंगलवार) निर्जला एकादशी (वैष्णवन का) व पूर्म जयंती।
- 19 जून (बुधवार) बुध प्रदोष व्रत।
- 21 जून को (शुक्रवार) ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत व वट पूर्णिमा व्रत।
- 22 को (शनिवार) स्नान दान की पूर्णिमा है