धर्म

क्या होता है खरमास, खरमास की अवधि में क्या करें, क्या न करें?

खरमास के दौरान विवाह आदि जैसे शुभ मांगलिक कार्य, मुण्डन, यज्ञोपवीत, वर-वरण, वधू प्रवेश, कुआं, तालाब, बावड़ी, उद्यान के आरम्भ एवं व्रतारंभ, उद्यापन, षोडश महादान, प्याऊ लगाना, शिशु संस्कार, देव प्रतिष्ठा, दीक्षाग्रहण, प्रथम बार तीर्थ यात्रा, सन्यास ग्रहण, कर्णवेध, विद्यारम्भ, राज्याभिषेक तथा रत्नभूषणादि कर्म एवं अन्य मांगलिक कार्य स्थगित रहते हैं। खरमास में केवल मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं लेकिन खरमास में किसी भी वस्तु के क्रय-विक्रय की मनाई नहीं है, परंतु अधिकांश जनमानस मकर संक्रांति के बाद सूर्य उत्तरायण होते ही जमीन, मकान, वाहन की खरीद आदि शुभ आवश्यक कार्य करते हैं।लेकर कई तरह की भ्रांतियां एवं अनेक प्रकार की मान्यताएं जनमानस में प्रचलित हैं। खरमास का संधि-विच्छेद करने पर ज्ञात होता है, खर यानी गधा और मास मतलब महीना। किवदंति के अनुसार खरमास महत्व को प्रत्येक जनमानस तक पहुंचाने के लिए एक कथा कही जाती है जिसमें बताया जाता है कि सूर्य अपने सात घोड़ों के रथ पर बैठकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं और परिक्रमा के दौरान भगवान सूर्य का रथ एक क्षण के लिए भी कहीं नहीं रुकता है। लेकिन सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में वर्षभर दौड़ते-दौड़ते सूर्य के सातों घोड़े थक जाते हैं इसलिए कुछ अंतराल के लिए घोड़ों को विश्राम एवं जल पीने के लिए रथ की भागदौड़ खर को सौंप दी जाती है जिसके कारण सूर्य के रथ की गति में परिवर्तन आ जाता है। किवदंति अनुसार गधे यानी खर, अपनी मंद गति से खरमास के समय रथ को संचालित करते हैं जिसके फलस्वरूप सूर्य का तेज क्षीण होकर धरती पर प्रकट होता है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य पुनः अपने सात अश्वों पर सवार होकर आगे बढ़ते हैं और धरती पर सूर्य का तेजोमय प्रकाश धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। अब तो आप समझ गए होंगे कि सूर्यदेव जब ‘खर’ के साथ यात्रा पर निकलें, तो शुभ कार्य क्यों स्थगित हो जाते हैं। विज्ञान हो या धर्म, पृथ्वी पर सूर्य के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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