छठ पूजा (Chhath Puja 2025) का महापर्व भगवान सूर्य और छठी माता को समर्पित है, जो लोक आस्था और पवित्रता का प्रतीक है। यह पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दौरान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है, शास्त्रों के अनुसार, इसमें भगवान शिव की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि छठी मैया भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय जी की पत्नी हैं, इस नाते उनका संबंध महादेव से भी है। इसलिए इस मौके पर भगवान शिव की पूजा करना बहुत फलदायी माना गया है। अगर आप छठ पूजा के दौरान अपने सभी कष्टों से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो सूर्य अर्घ्य देने के साथ-साथ शिवलिंग पर कुछ विशेष वस्तुएं अवश्य अर्पित करें।
गंगाजल या शुद्ध जल
छठ पूजा के दौरान नदी या घाट पर जाने से पहले शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करें। जल महादेव को अत्यंत प्रिय है और यह मन की शांति और सभी प्रकार के कष्टों को दूर करता है।
बिल्व पत्र
बिल्व पत्र भगवान शिव को सबसे प्रिय है। छठ के पावन अवसर पर शिवलिंग पर 108 बिल्व पत्र अर्पित करने का संकल्प लें। यह उपाय जीवन के बड़े से बड़े संकटों और परेशानियों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है। बिल्व पत्र चढ़ाते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप जरूर करें।
कच्चा दूध
शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाने से मानसिक शांति मिलती है। वहीं थोड़ी सी चीनी या शक्कर चढ़ाने से घर में खुशहाली और समृद्धि आती है। ऐसा भी कहते हैं कि इससे घर की दरिद्रता भी दूर होती है।
अक्षत
शिवलिंग पर अक्षत अर्पित करने से धन लाभ के योग बनते हैं और आर्थिक तंगी दूर होती है। ध्यान रहे, चावल टूटे हुए नहीं होने चाहिए।
शमी पत्र और धतूरा
छठ पूजा के दौरान शिवलिंग पर शमी पत्र अर्पित करने से दुर्भाग्य दूर होता है। इसके अलावा, धतूरा चढ़ाने से संतान से जुड़ी इच्छाएं पूरी होती हैं और संतान को दीर्घायु प्राप्त होती है।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। जगन्नाथ डॉट कॉम यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। जगन्नाथ डॉट कॉम अंधविश्वास के खिलाफ है।





