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इस्लामिक नाटो का पाकिस्तान ने क्यों दिया प्रस्ताव, भारत पर क्या असर; कितना रहेगा दम

इस्लामिक नाटो का पाकिस्तान ने क्यों दिया प्रस्ताव, भारत पर क्या असर; कितना रहेगा दम कतर की राजधानी दोहा में इजरायल के हमले के खिलाफ 60 मुस्लिम देशों के जुटान में कोई बड़ा प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। इजरायल के खिलाफ एक औपचारिक जैसा प्रस्ताव जरूर पारित हुआ, जिसमें उसकी निंदा की गई और गाजा में हमलों की तुलना नरसंहार से की गई। लेकिन इस मीटिंग में एक नई चर्चा जरूर शुरू हो गई, जिसकी बात मिस्र, पाकिस्तान और तुर्की ने की। यह बात थी- अमेरिका की लीडरशिप वाले नाटो की तर्ज पर इस्लामिक नाटो का गठन करना। यह आइडिया मिस्र और पाकिस्तान जैसे देशों की ओर से ही आया। मिस्र का कहना था कि इस्लामिक नाटो संगठन का मुख्यालय मिस्र में बनाया जा सकता हैइसे लेकर चर्चा इसलिए भी है क्योंकि पाकिस्तान को लेकर माना जा रहा है कि वह इस्लामिक एकता के नाम पर एक एजेंडे के तौर पर जोर देता है। ऐसे में इस्लामिक नाटो की बात करके पाकिस्तान ने एक तरफ से भारत के खिलाफ अपनी सुरक्षा की गारंटी मांग ली है। पाकिस्तान की ओर से ऐसी कोई बात नहीं कही गई, लेकिन इस्लामिक नाटो जैसा संगठन बनाने का संकेत साफ है। नाटो के नियम के अनुसार यदि उसके किसी सदस्य देश पर हमला होता है तो सभी मेंबर देश मिलकर उस पर हमला कर सकते हैं। ऐसे में पाकिस्तान इस्लामिक नाटो की बात कर रहा है ताकि भारत से किसी संघर्ष की स्थिति में उसे दूसरे मुसलमान देशों का साथ मिल सके।

यही भारत के लिए चिंता की बात है। कश्मीर के मसले पर भारत के खिलाफ राय जाहिर करने वाला तुर्की भी इस्लामिक अरब समिट में शामिल था। यही कारण है कि इस्लामिक नाटो के प्रस्ताव को लेकर चर्चा होने लगी है। इस्लामाबाद की ओर से इस समिट के मौके पर खुद को आक्रामक दिखाया गया। पाकिस्तानी नेताओं ने अपने देश को इस्लामिक मुद्दों के चैंपियन के तौर पर पेश किया गया। पाकिस्तान की एकमात्र ताकत यही है कि वह दुनिया का इकलौता परमाणु संपन्न मुस्लिम राष्ट्र है। लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है।

सऊदी अरब, कतर, यूएई, तुर्की, ईरान जैसे मुस्लिम देशों के आगे पाकिस्तान की स्थिति कमजोर है, लेकिन वह इस्लाम के नाम पर आक्रामक रहा है। पाकिस्तान ने मीटिंग में यह भी कहा कि इजरायल के खिलाफ एक टास्क फोर्स बनानी चाहिए। बता दें कि इस मीटिंग में पाकिस्तान की तरफ से शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री इशाक डार पहुंचे थे। डार ने कहा कि इजरायल को यह इजाजत नहीं दी जा सकती कि वह मुस्लिम देशों पर हमले करे। उन्होंने कहा था कि दुनिया की 1.8 अरब मुसलमान आबादी की इस समिट पर नजर है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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