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धुंआ निकलते गरम-गरम चाप-पकौड़े, धनिया-आंवला की चटनी…छपरा की इस छोटी सी दुकान के फैन हैं जिले वाले

छपरा. छपरा के ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में भी काफी लजीज आइटम मिलते हैं, जिनमें सबसे अधिक फेमस हैं पकौड़ा और आलू चाप. इनका स्वाद लोगों को काफी अच्छा लगता है. इसी क्रम में यहां एक छोटी सी दुकान है जिसके स्नैक्स खाने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. हालांकि ऐसे ग्रामीण इलाकों की बाजारों में दुकान पूरे दिन नहीं लगती है. सीमित समय में स्टॉल लगाकर पकौड़ी बेचने का काम किया जाता है.जिले में कई ऐसे बाजार हैं, जहां के स्थानीय चाप-पकौड़ी दूर-दूर तक नाम कमा रही हैं. जिले के एकमा बाजार में स्टॉल लगाकर रोहित अपने भाई के साथ पिछले कई वर्षों से चाप-पकौड़ा बेचने का काम कर रहे हैं. दोपहर 2:00 बजे से रात 8:00 बजे तक बिक्री होती है, जहां खाने वाले लोगों की भीड़ देखी जाती है. घरेलू मसालों से चाप और पकौड़ा तैयार किया जाता है, जिसकी वजह से स्वाद काफी अच्छा मिलता है.साथ में सर्व होती है चटनी
यही वजह है कि स्टॉल लगने का इंतजार लोग पहले से ही करते हैं. इसमें लहसुन, गरम मसाला, हल्दी, प्याज सहित कई मसाले डाले जाते हैं. ये सभी मसाले खुद से तैयार किए जाते हैं. इसके साथ ही अदरक, हरी मिर्च की चटनी, आंवला की चटनी और धनिया पत्ता की चटनी भी दी जाती है.

8 साल से कर रहे काम
रोहित कुमार ने बताया कि पिछले 8 साल से अधिक समय से वे लोग यहां ठेला लगाकर चाप और पकौड़ा बेच रहे हैं. गरम-गरम चाप और पकौड़ा खाने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि गोभी, आलू, बैंगन और लौकी का चाप मिलता है, जबकि यहां ब्रेड पकौड़ा, चना दाल पकौड़ी, प्याज बेसन पकौड़ी सहित कई आइटम मिलते हैं. इनके साथ आंवला और धनिया पत्ता की चटनी, प्याज और हरी मिर्च भी दी जाती है.

उन्होंने बताया कि घरेलू मसालों से पूरी शुद्धता के साथ सभी आइटम तैयार किए जाते हैं, जिससे खाने से कोई नुकसान नहीं होता है. पकौड़े सरसों के तेल में तले जाते हैं और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रखा जाता है. यही वजह है कि यहां का एक बार स्वाद लेने के बाद लोग बार-बार आते हैं.

लोग करते हैं पहले से इंतजार
इस स्टॉल पर छपरा के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं. इसके अलावा सिवान और उत्तर प्रदेश जाने वाले लोग भी चाप और पकौड़े का स्वाद लेना नहीं भूलते हैं. दिन के 2:00 बजे से ठेला लगाकर रात के 8:00 बजे तक बिक्री होती है. लोग खाने के लिए पहले से ही इंतजार करते हैं और काउंटर लगते ही भीड़ लग जाती है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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