इस्लामाबाद: बलूचिस्तान में वर्षों से आजादी की जंग लड़ रहे बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी पर अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर के दबाव में बैन लगा दिया है। अमेरिका ने यह बैन ठीक उस दिन (11 अगस्त) लगाया जब बलूचिस्तान की जनता अपना स्वतंत्रता दिवस मना रही थी। असीम मुनीर इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं। अमेरिका के इस कदम पर बलूचों ने कड़ी आपत्ति जताई है। बलूचों ने कहा कि उन्होंने हमेशा से ही अमेरिका को सपोर्ट किया है। अगर ट्रंप सरकार उनकी आजादी को मान्यता देती है तो वे अमेरिका के विश्वसनीय सहयोगी होंगे। पाकिस्तान लगातार आरोप लगाता रहा है कि बीएलए को भारत का समर्थन मिल रहा है। अमेरिका के टीआरएफ पर बैन लगाने के बाद पाकिस्तान बीएलए पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका पर दबाव बना रहा था। पाकिस्तान में इसे मुनीर की बड़ी सफलता के रूप में पेश किया जा रहा है।अमेरिका के इस कदम के जवाब में बीएलए ने जोर देकर कहा है कि वे आतंकी संगठन नहीं हैं और अमेरिका का सहयोगी बनने के लिए तैयार हैं। वरिष्ठ बलूच नेता मीर यार बलोच ने कहा, ‘बलूचिस्तान की आजादी को मान्यता देने से अमेरिका को एक वास्तविक दोस्त, उदार, स्थिर और लोकतांत्रिक मूल्य वाला है। यह पाकिस्तान के भ्रष्ट सैन्य अधिकारियों से बेहतर है जिसे खुद उसके लोगों ने खारिज कर दिया है।’ बलूच नेता ने कहा कि बलूचिस्तान की जनता 78 साल से पाकिस्तानी सेना के आतंकवाद और आर्थिक लूटपाट से जूझ रही है।
बलूचों ने अमेरिका का हमेशा साथ दिया’
मीर यार बलोच ने कहा कि पूरे इतिहास में बलूचों ने अमेरिका के प्रति हमेशा से ही बहुत अच्छा रुख अपनाया है। यहां तक कि जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में हमला किया था। बलूचों ने कभी भी अमेरिकी सेना के खिलाफ हथियार नहीं उठाया। 9/11 हमले के बाद नाटो की सप्लाई लाइन बलूचिस्तान से होकर गुजरती थी लेकिन बलूच स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने कभी भी अमेरिकी काफिले पर हमला नहीं किया। इससे पहले अमेरिका ने पाकिस्तान स्थित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और उसके सहयोगी संगठन मजीद ब्रिगेड को सोमवार को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था।