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रिश्वत नहीं लेने साईं बाबा के सामने आईएएस ने खाई कसम

सबको राम-राम

मुख्यमंत्री के प्रींसिपल सिकरेट्री एन बैजेंद्र कुमार बड़े दिनों के बाद गुरूवार रात फेसबुक पर आए। उन्होंने जनसंपर्क आयुक्त से मुक्त होने की खबर को साझा किया। साथ ही, छह साल तक सहयोग करने के लिए मित्रों को धन्यवाद दिया, मीडिया के मित्रों को राम-राम भी बोला। हालांकि, उनका आदेश एक अप्रैल को हो गया था। मगर मीडिया के लोग इसे भूल जा रहे थे। जो भी मिलने आता, धीरे से जेब से निकालकर विज्ञापन का एक लेटर थमा देता। सो, बैजेंद्र कुमार को फेसबुक पर आना पड़ा। वैसे, उनके शब्दों से लग रहा था, इस विभाग से रिलीव होने के बाद काफी शुकून महसूस कर रहे हैं। बहरहाल, उन्होंने जनसंपर्क जैसे विभाग में छह साल काम करने का रिकार्ड बनाया। इससे पहले, कोई दो साल से ज्यादा नहीं रहा। असल में, मीडिया को टेकल करने का लफड़ा और कमाई कुछ नहीं, इस वजह से बहुत से आईएएस जनसंपर्क में आना नहीं चाहते।

जय साई बाबा

देश के माने हुए मंदिरों में जाकर नानवेज छोड़ना या शराब जैसे व्यसन को त्याजना आम बात है। मगर आज के युग में कोई ़अफसर भगवान के सामने जाकर रिश्वत लेना छोड़ दें, सहसा विश्वास नहीं होता। मगर यह सही है कि राजधानी में पोस्टेड एक सीनियर आईएएस ने साईं के दरबार में जाकर रिश्वत लेना छोड़ दिया। आईएएस 2008 में शिरडी गए थे। बाबा के सामने उन्होंने मत्था टेका। संकल्प लिया कि अब वे एक पैसा हाथ नहीं लगाएंगे। अब स्थिति यह है कि ठेकेदार सूटकेस लेकर घूम रहे हैं कि साब एकसेप्ट कर लें। मगर देखना है कि साब का यह संकल्प कब तक टिकता है। क्योंकि, लक्ष्मीजी का मोह Sold चीज है कि छुटकारा बड़ा मुश्किल होता है।

दो पत्नी

वैसे तो पत्नी अगर पति पर विवाहेत्तर संबंधों का आरोप लगाती है तो पुलिस कार्रवाई करने में देर नहीं लगाती। मगर एक आईपीएस अफसर दो-दो पत्नी रखा है और उसकी पत्नी न्याय की गुहार लगा रही है, लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही। जबकि, एक पुराने डीजी के निर्देश पर आईजी लेवल की जांच हुई थी और चार पेज की रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी आईपीएस दूसरी महिला को भी पत्नी की तरह रखा है। उसके बच्चे सरकारी गाड़ी में स्कूल जाते हैं। इसके बाद भी कोई एक्शन नहीं।

खफा

जेके लक्ष्मी सीमेंट मामले में एक आरोपी के खिलाफ जनसुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई करने को लेकर सरकार पुलिस महकमे से बेहद खफा है। पुलिस ने बस्तर में पिछले दो-तीन साल में जितने भी मामले बनाए हैं, सभी आरोपी अदालत से बाइज्जत रिहा हो रहे हैं। जाहिर है, पुलिस उन्हें नक्सली साबित करने में नाकाम रही है। इसके बावजूद, जेके मामले में नक्सली धारा लगा दी गई। और सरकार को इंफार्म भी नहीं किया गया। सरकार के करीबी अफसरों का कहना है, अगर नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया तो पुलिस को पता कैसे नहीं चला कि अहिरवारा इलाके में नक्सली धमक आए हैं। सरकार की जानकारी में यह है कि पुलिस महकमे से निर्देश मिलने के बाद दुर्ग पुलिस ने नक्सली धारा लगाया।

घर वापसी

राजधानी के एक आला राजनेता के चर्चित पीए की आखिरकार घर वापसी हो गई। बंगले के साथ मंत्रालय में भी अब उन्हें कक्ष एलाट कर दिया गया है। पिछले साल पीए के कुछ निजी मामलों ने इतना तूल पकड़ा कि साब ने उसे बाहर का रास्ता दिखाना बेहतर समझा था। तब लोगों ने समझा कि पीए के लिए बंगले का रास्ता हमेशा के लिए बंद हो गया। मगर साब दयालू हैं। उनका मन पसीज गया।

पद बड़ा और….

कैडर रिव्यू कराकर आईएफएस अफसरों ने आल इंडिया सर्विसेज में बाजी मार ली। आईएफएस की देखादेखी आईएएस का भी कैडर रिव्यू का प्रपोजल दिल्ली गया है। आईपीएस का तो अभी अता-पता नहीं है। अलबत्ता, आईएफएस के कैडर रिव्यू के कुछ प्वाइंट जरूर लोगों को खटक रहे है। अभी तक वन विभाग के सर्किल में सीएफ होते थे, अब सीसीएफ पोस्ट होंगे। ऐसा ही हुआ, जैसे कमिश्नर कलेक्टरी करेगा। आईएएस में भी बहुत पहले प्रयोग के तौर पर कमिश्नर लेवल के अफसरों को राजधानी का कलेक्टर बनाया था, मगर बाद में इसे दुरुस्त कर लिया गया। आईएफएस एसोसियेशन कैडर रिव्यू के लिए पिछले दिनों जब चीफ सिकरेट्री सुनील कुमार से मिलने गया था तो उन्होंने तीखे कमेंट किए थे, आप लोग पद बड़ा और काम छोटा करना चाहते हैं। आईएफएस इस पर खूब झेंपे।

अच्छी खबर

वैसे तो सरकारी प्रोडक्ट हमेशा सवालों में रहते हैं। मगर सरकारी दुग्ध संघ का देवभोग पेड़ा इतना टेस्टी है कि अच्छे-अच्छे होटलों का पेड़ा उसके सामने टिक नहीं पा रहा। जाहिर है, ऐसे में डिमांड तो बढ़ेगा ही। देवभोग के स्टालों में एडवांस पैसा जमा करने पर पेड़ा नहीं मिल रहा। स्टाल वालों का कहना है, पूर्ति नहीं हो पा रही।

अंत में दो सवाल आपसे

1. सरकार ने किस रणनीति के तहत ओपी चौधरी को डायरेक्टर जनसंपर्क बनाया है?

2. छत्तीसगढ़ के किस मंत्री का केरल के वन मंत्री केबी गणेश कुमार जैसा हश्र हो सकता है?

Manoj Mishra

Editor in Chief

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