मध्य प्रदेश में सालों से रुकी हुई पदोन्नति प्रक्रिया को गति मिल गई है। राज्य शासन (MP Government) ने गुरुवार को लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 (MP Promotion Rules) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके साथ ही प्रमोशन में आरक्षण को लेकर विवाद भी तेज हो गया है। सपाक्स जैसे कर्मचारी संगठन सरकार के नए नियमों का विरोध करते हुए इन्हें हाईकोर्ट में चुनौती देने ऐलान कर चुके हैं। अब सरकार ने पदोन्नति नियम को लेकर एमपी हाईकोर्ट में कैविएट (CAVEAT) लगाई है।(
प्रमोशन के नियमों के नोटिफिकेशन जारी
मध्य प्रदेश शासन ने लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया। नियमों के अनुसार, सीधी भर्ती वाले पदों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) को क्रमशः 16% और 20% आरक्षण मिलेगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह व्यवस्था प्रमोशन में लागू की जाएगी।
सरकार ने हाईकोर्ट में लगाई कैविएट
अब नए नियमों के विरोध और विवाद की आशंका को देखते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने जबलपुर मुख्यपीठ सहित इंदौर और ग्वालियर खंडपीठों में कैविएट दायर (High Court CAVEAT) कर दी है। इसका उद्देश्य है कि यदि कोई नियम या प्रावधान कोर्ट में चुनौती दी जाए तो सरकार को पहले से सूचित किया जाए ताकि वह अपना पक्ष रख सके।
नियमों के विरोध में कर्मचारी संगठन
सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी संघ (सपाक्स) संगठन ने इन नियमों का विरोध करते हुए कहा है कि इनमें क्रीमीलेयर को आरक्षण से बाहर करने का कोई प्रावधान नहीं जोड़ा गया है। उनके अनुसार, नए नियमों से सामान्य, पिछड़ा और ओबीसी वर्ग को कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिलेगा। नए नियमों का विरोध जताते हुए उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि वे इन नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।
लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 जारी
इधर, पदोन्नति के नियम नियम लागू होते ही प्रदेश में पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) के गठन की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। हर डीपीसी में आरक्षित वर्ग का एक प्रतिनिधि अधिकारी होगा। सबसे पहले जीएडी अपनी डीपीसी की प्रक्रिया शुरू करेगा, जो अन्य विभागों के लिए मॉडल बनेगा।
सपाक्स का विरोध, सरकार का बचाव
सामान्य प्रशासन विभाग ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया है कि यदि कोई पदोन्नति नियम या उसके किसी प्रावधान को चुनौती देता है तो अग्रिम जानकारी महाधिवक्ता कार्यालय को उपलब्ध कराई जाए, ताकि कोई आदेश पारित होने से पहले सरकार अदालत में अपना पक्ष रख सके।
स्थगन से पहले पक्ष रखने की तैयारी
सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) जीएडी के उप सचिव अजय कटेसरिया ने जानकारी दी कि महाधिवक्ता कार्यालय को निर्देश दिए गए हैं कि कोर्ट में अगर कोई याचिका दायर होती है, तो सरकार का पक्ष सुने बिना कोई भी स्थगन आदेश पारित न हो। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने हाई कोर्ट की जबलपुर मुख्यपीठ के साथ ग्वालियर व इंदौर खंडपीठों में कैविएट दायर की है।