आईआईटी से पढ़ाई करना लगभग हर युवाओं का सपना होता है. इस सपने को पूरा करने के लिए जेईई की परीक्षा को पास करना होता है. जेईई की परीक्षा को पास करना इतना भी आसान नहीं होता है, वो भी तब जब आप हिंदी मीडियम से हो. हिंदी मीडियम बैकग्राउंड से आने वाले बच्चों के लिए जेईई की परीक्षा को पास करना रेगिस्तान में पानी ढूंढने जैसा होता है. लेकिन इसे सच कर दिखाया राजस्थान के डूंगराराम चौधरी (Dungara Ram Choudhary) ने. उन्होंने न केवल जेईई की परीक्षा का पास किया बल्कि टॉप रैंक भी हासिल किया. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं…हिंदी मीडियम होने के बावजूद भी जेईई में किया टॉप
आईआईटी जेईई के टॉप रैंकर डूंगराराम चौधरी राजस्थान के जालोर जिले के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं. वह जालोर के एक किसान परिवार से आते हैं. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव से करने के बाद शहर की ओर रुख किया. उन्होंने कक्षा 12वीं का परीक्षा को पास करने के बाद आईआईटी जेईई की तैयारी के लिए एक साल का गैप लिया. इसके बाद वह अपनी किस्मत आजमाने के लिए कोटा चले आए. वह एक सामान्य सा दिखने वाले लड़के ने अपनी मेहनत और लगन से देश के प्रतिष्ठित एग्जाम में वर्ष 2002 में टॉप किया था. उन्हें आईआईटी जेईई गणित सब्जेक्टिव परीक्षा में 100/100 अंक मिले थे आईआईटी कानपुर से की पढ़ाई
डूंगराराम चौधरी ने आईआईटी जेईई टॉप करने के बाद IIT कानपुर के कंप्यूटर साइंस में दाखिला लिया. इसके बाद उन्होंने IIT कानपुर में भी अपने बैच में टॉप किया था. उनके लिए हिंदी मीडियम बैकग्राउंड से आना और आईआईटी जेईई टॉप करना और बाद में IIT कानपुर में अपने बैच में टॉपर करना मानो जैसे किसी सपने को पूरा होने जैसा था. आईआईटी कानपुर से पढ़ाई करने के बाद डूंगराराम चौधरी ने AirTight Netorks नाम की कंपनी से अपना करियर की शुरुआत की.इस दिग्गज कंपनी में कर रहे हैं काम
AirTight Netorks में दो साल काम करने के बाद वह आईटी की दिग्गज कंपनी Oracle में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर ज्वाइन किया. अब वह Oracle में पिछले 11 वर्ष से काम कर रहे है. वह Oracle में आधुनिक तकनीक जैसे क्लाउड कंप्यूटिंग और क्लस्टरिंग जैसे प्लेटफार्म पर काम कर रहे है. अब तक उनका 2 रिसर्च पेपर एवं एक पेटेंट पब्लिश हो चुका है. फिलहाल वो अपने परिवार के साथ कैलिफोर्निया में रहते हैं.
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