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सच्चे प्यार की मिसाल: कसौल की वह डरावनी रात, जिसने छीन ली उनके सपनों की जिंदगी, बरसों बाद भी मंगेतर ने नहीं छोड़ा साथ

दोस्‍ती, प्यार और शादी का वादा.. जीवन का वह मोड़ होता है जहां जिंदगी भर साथ निभाने की कसमें खाई जाती हैं, और यहां से एक प्‍यार की कहानी की शुरुआत होती है. लेकिन सच्चा प्यार वही होता है जो जिंदगी की सबसे मुश्किल हालातों में भी अपने वादे पर खरा उतरता है. उमंग और उनकी बचपन की दोस्त की कहानी इसका एक जीता-जागता मिसाल है. हाई स्‍कूल की अल्‍हड़ सी नाजुक उम्र, ढेर सारे सपने, साथ जीने-मरने का वादा, लेकिन कसौल की एक रात ने उनकी जिंदगी बदल दी. सपनों सी कहानी में मोड़ तब आया जब शादी से ठीक एक महीने पहले उमंग अपने दोस्तों के साथ कसौल घूमने गया.कसौल(Kasol) में उमंग और उनके दोस्तों ने घूमने का प्‍लान बनाया और बाइक से निकल पड़े, एडवेंचर के शौकीन उमंग, दोस्‍तों के साथ टेंट में रात गुजारी, लेकिन रात में जंगली जानवरों ने टेंट पर हमला कर दिया. इस हमले में उमंग को काफी चोटें आईं और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा. वहां उनका वैक्सीनेशन हुआ, लेकिन किसी को अंदाजा नहीं था कि यह हादसा उनके जीवन का नक्‍शा बदल देगा.रेबीज की चपेट में उमंगहादसे के दो चार दिनों बाद उमंग जब घर आए तो हल्का बुखार और कमजोरी महसूस हुई. जांच में पता चला कि उन्हें रेबीज हो गया है. रेबीज के कारण उनका रेस्पिरेटरी सिस्टम फेल होने की कगार पर था. उन्हें वेंटिलेशन पर रखा गया लेकिन इसी समय वह कोमा में चले गए. डॉक्टर्स ने उम्मीदें छोड़ दी थीं, लेकिन उनकी मंगेतर ने नहीं.सात साल का इंतजारदो महीने अस्पताल में रहने के बाद उमंग को घर तो लाया गया, लेकिन वह न बोल सकते थे, न चल सकते थे और न ही अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते थे. रेबीज के कारण उनके दिमाग को गंभीर न्यूरोलॉजिकल नुकसान हुआ था. आज सात साल बीत चुके हैं. लेकिन उनकी मंगेतर ने उनका साथ नहीं छोड़ा. समाज और अपनों के कहने के बावजूद उन्होंने “मूव ऑन” करने से इनकार कर दिया.

उम्मीद की जीतसवाल करने पर अक्‍सर उनकी मंगेतर कहती हैं कि मैंने उमंग के लिए उम्मीद नहीं छोड़ी है. मुझे विश्वास है कि एक दिन ऐसा आएगा जब वह फिर से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकेंगे. मैं उनके लिए पूरी जिंदगी इंतजार कर सकती हूं.

यह कहानी सच्चे प्यार की ताकत और उम्मीद की अटूट शक्ति का उदाहरण है. यह हमें यह सिखाती है कि प्यार का असली मतलब सिर्फ मौज मस्‍ती या खुशियां साझा करना भर नहीं, बल्कि मुश्किल हालातों में भी अपने साथी का सहारा बनना है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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