खेतों में काटी गईं कॉलोनियां प्रशासन के लिए मुसीबत बन गई हैं। करीब 100 कॉलोनियों पर एफआइआर दर्ज होने के बाद राजस्व नियम के तहत प्रशासन इन्हें राजसात करेगा। मई में इन कॉलोनियों पर बुलडोजर(Bulldozer Action) चलेगा। 24 कॉलोनियों को नोटिस दी गई। जो कॉलोनी बिना टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग या स्थानीय निकाय की अनुमति या लेआउट मंजूरी के विकसित की गई हैं उन्हें अवैध कॉलोनी माना गया है। इन कॉलोनियों की लिस्ट तैयार है।
प्रशासन के साथ ये दिक्कत
शहर में नगर निगम, बीडीए, हाउसिंग बोर्ड, पीडब्ल्यूडी जैसी एजेंसी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में इनके काम करने को लेकर विशेष अनुमति व अन्य जमीनी दिक्कतें है। मॉनीटरिंग कौन करेगा ये भी बड़ा सवाल है।
राजसात (सरकारी कब्जा) के नियम
● नगरीय निकाय क्षेत्र में मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 305, 326 व 327 अवैध रूप से विकसित भूमि या संरचना को तोडऩे या उसे अपने अधीन लेने का प्रावधान है। इसके लिए जिला योजना, नगर निगम फंड से काम होता है। प्लॉट धारकों से आंशिक विकास शुल्क लिया जा सकता है।
बीडीए की कॉलोनी में भी अनुमति नहीं
भोपाल विकास प्राधिकरण(Bhopal Development Authority) की विकसित कॉलोनी में भी गड़बड़ी हो सकती है। प्राधिकरण की सबसे पॉश व प्रमुख कॉलोनी शाहपुरा के बी व सी सेक्टर में निगम ने भवन अनुज्ञा ही देना बंद कर दी। अब लोग पहुंच रहे हैं तो इंकार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यहां तय नक् शे से विपरित निर्माण की स्थिति है। यानि बीडीए ने टीएंडसीपी के नक् शे के विपरित काम किया है। मामला अभी हाईकोर्ट में है और जब तक यहां से निर्णय नहीं आ जाता, यहां अनुमति बंद रहने की बात कही जा रही है। मामले में बीडीए के सीइओ श्यामबीर सिंह से पूछा गया कि ऐसा कैसे हो गया।