भारत पर अमेरिका ने 26 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाया है और इससे भारत के लिए भी कुछ क्षेत्रों में मौके पैदा हो सकते हैं. लेकिन, इन मौकों के बीच चुनौतियां भी हैं.
विश्लेषक आशंका ज़ाहिर कर रहे हैं कि भारतीय बाज़ार, चीन के उत्पादकों के लिए ‘डंपिंग ग्राउंड’ बन सकता है.
चीन ऐसे उत्पाद भारतीय बाज़ार में डंप कर सकता है, जिन्हें टैरिफ़ को लेकर तनाव की वजह से अमेरिका के बाज़ार में बेचने में चीनी उत्पादकों को दिक़्क़तों का सामना करना होगा.
भारत और चीन के बीच कारोबारी घाटे में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. भारत का चीन के साथ कारोबारी घाटा बढ़कर 99.2 अरब डॉलर हो गया है.
इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों, सोलर सेल और बैटरी के आयात में बढ़ोतरी को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है.
वित्तीय वर्ष 2025 में भारत और चीन के बीच सालाना कारोबार 127.7 अरब डॉलर का हुआ. भारत ने चीन को 14.2 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि चीन से 113.4 अरब डॉलर का आयात किया.
इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों, इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी, सोलर सेल और ऐसे अन्य औद्योगिक उत्पादों जिनकी सप्लाई चेन में चीन का प्रभाव है, इनकी मांग में बढ़ोतरी की वजह से चीन से आयात 11.5 प्रतिशत बढ़ गया. वहीं, आयात के मुक़ाबले चीन को भारत के निर्यात में 14.5 प्रतिशत की गिरावट आई है.
इससे भी भारत के कारोबारी घाटे में रिकॉर्ड स्तर की बढ़ोतरी हुई है और ये 99.2 अरब डॉलर तक पहुंचकर अपने अब तक के सर्वोच्च स्तर पर है.
सिर्फ़ मार्च में ही भारत ने चीन से 9.7 अरब डॉलर का आयात किया. यदि चीन भारत में डंपिंग करता है, तो भारत का कारोबारी घाटा और अधिक बढ़ सकता है.