सनातन धर्म में किसी भी देवी-देवता की पूजा के समय दीया बेहद जरूरी है. ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. इसलिए ज्यादातर लोग मिट्टी के दीया जलाते हैं. लेकिन, आपको बता दें कि, आटे से बने दीपक अधिक शुभ माने जाते हैं. आटे के दीपक को बेहद पवित्र और शुद्ध माना गया है. लेकिन, इससे भी ज्यादा जरूरी जानना ये है कि आप किस समस्या के लिए किस चीज से बना दीया जला रहे हैं. क्योंकि, मिट्टी-आटा इन दोनों प्रकार के दीपक जलाने का अलग-अलग महत्व है. अब सवाल है कि कौन से आटे का दीपक जलाना सबसे उत्तम होता है? क्या है दीपक जलाने का महत्व है?
किस समस्या में जलाएं गेहूं के आटे से बना दीया
यदि आप किसी वाद विवाद जैसी समस्याओं में उलझ जाते हैं, या उलझे हुए हैं, और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं. तो पूजा करने के दौरान गेहूं के आटे का दीपक जलाना आपके लिए बेहद शुभ होगा. ऐसा करने से आपको वाद विवाद जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, घर की सुख शांति को बनाए रखने और घर से दरिद्रता को दूर करने के लिए पूजन के दौरान मूंग के आटे का दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने से घर में सुख शांति आती है और दरिद्रता दूर होती है. साथ ही घर में सामंजस्य पैदा होता है.
किस समस्या में जलाएं उड़द के आटे से बना दीया
विद्वानों की मानें तो, यदि आप अपने शत्रुओं से परेशान हैं, और उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं. तो पूजा पाठ के दौरान उड़द के आटे का दीपक जलाना आपके लिए बेहद शुभ होगा. ऐसा करने से आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं.
दीपक जलाने के नियम और विधि
ज्योतिषाचार्य बताते हैं, यदि आपकी कोई मनोकामना है, और आप उसे पूरा करना चाहते हैं. तो आटे का दीपक बढ़ते क्रम या फिर घटते क्रम में जलाएं. इसे आप एक से 11 दिन तक जला सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक दीपक से शुरुआत करते हुए 11 दीपक तक जला सकते हैं. अगर आप घटते क्रम में दीपक जला रहे हैं तो पहले दिन 11 दीपक जलाएं और फिर ऐसा करते हुए आख़िरी दिन एक दीपक जलाएं.