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बस्तर पंडुम का समापन : केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह हुए शामिल, नक्सलियों से बोले- मुख्यधारा में हो जाएं शामिल

जगदलपुर। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दो दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान शनिवार की दोपहर को विमान से जगदलपुर पहुंचे। यहां से दंतेवाड़ा रवाना हुए। दंतेवाड़ा पहुंचकर सबसे पहले मां दंतेश्वरी के दर्शन किए। इस दौरान वह धोती-कुर्ता पहने नजर आए। मां का आशीर्वाद लेने के बाद अमित शाह बस्तर पंडुम के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए। मंच से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलियों से एक बार फिर अपील करते हुए कहा, ‘अब वो जमाना चला गया, जब यहां पर गोलियां चलती थीं, बम धमाके होते थे, जिनके हाथों में हथियार हैं और जिनके हाथों में हथियार नहीं हैं, उन सभी नक्सलियों से आह्वान करता हूं कि आप हथियार डाल दीजिए और मुख्यधारा में शामिल हो जाइए। आप हमारे अपने हैं।

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गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कोई भी नक्सली मारा जाता है तो किसी को खुशी नहीं मिलती है, लेकिन इस क्षेत्र को विकास चाहिए। जो 50 साल में विकास नहीं हुआ वो हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच साल में करके दिखाना चाहते हैं, लेकिन यह तभी होगा जब बस्तर के अंदर शांति होगी। बच्चे स्कूल जाएंगे। यहां के लोगों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा, ‘नक्सली हथियार चलाकर बस्तर में अमन, शांति और विकास नहीं ला सकते। हर गांव नक्सलमुक्त हो। इस अवधारणा के साथ राज्य सरकार चल रही है। जो गांव हर नक्सली को सरेंडर कराएगा, उस गांव को नक्सलमुक्त घोषित करने के साथ ही उसके विकास के लिए एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

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अमित शाह ने की देवी मां दंतेश्वरी की पूजा-अर्चना
चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की पूजा-अर्चना कर देश और प्रदेश वासियों की सुख समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उप मुख्यमंत्री अरुण साव एवं विजय शर्मा, मंत्री राम विचार नेताम, केदार कश्यप, विधायक जगदलपुर किरण देव अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ, सचिव राहुल भगत, कमिश्नर बस्तर डोमन सिंह, आईजी बस्तर सुंदरराज पी सहित अन्य जनप्रतिनिधि व अधिकारी उपस्थित रहे।

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छत्तीसगढ़ सहित देश को नक्सलमुक्त करने का संकल्प पूरा होगा
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम विष्णुदेव साय ने कहा, ‘हमारे सुरक्षाबल के जवान बहुत ही मजबूती के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं। नक्सल मोर्चे पर लगातार सफलता मिल रही है। हमें पूरा भरोसा है की मां दंतेश्वरी की कृपा से केंद्रीय गृहमंत्री का मार्च 2026 से पहले छत्तीसगढ़ सहित देश को नक्सलमुक्त करने का संकल्प पूरा होगा। छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका यहां का पर्यटन स्थल है, जो स्वर्ग जैसा है यहां पर फिर पुराना समय आएगा और देश-दुनिया के लोग आएंगे।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पंडुम के कलाकारों का सम्मान किया
सीएम साय ने कहा, ‘यह बस्तर पंडुम 45 दिनों तक चला है। यह ब्लॉक स्तर से शुरू होकर जिला और संभाग स्तर पर समापन हो रहा है। इसमें ओडिशा, कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के करीब 27 हजार कलाकारों ने हिस्सा लिया। इसमें आदिवासी संस्कृति, वेशभूषा, भाषा-शैली, साहित्य, खान- पान सब का समावेश हुआ। पीएम नरेंद्र मोदी की एक राष्ट्र और एक एक भारत, श्रेष्ठ भारत के सपने को साकार किया है। बस्तर पंडुम 18 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए हैं। इसके पहले बस्तर ओलंपिक का भी शानदार आयोजन किया गया था। इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पंडुम के कलाकारों का सम्मान किया।’

अगली चैत्र नवरात्रि में लाल आतंक खत्म हो जाए
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन की शुरुआत भारत माता की जय से करते हुए कहा, ‘आज चैत्र नवरात्रि की अष्टमी है। मैं अभी-अभी मैं मां दंतेश्वरी का आशीर्वाद लेकर यहां आया हूं कि अगली चैत्र नवरात्रि में यहां से लाल आतंक खत्म हो जाए और हमारा बस्तर फिर से खुशहाल हो।’ दंतेश्वरी माई की जय और छत्तीसगढ़ महतारी के जयकारे लगाते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ‘आज अष्टमी और रामनवमी दोनों है। आज रामलाल का बर्थडे है और मैं रामलाल के ननिहाल यानी छत्तीसगढ़ में आया हुआ हूं। बहुत-बहुत शुभकामनाएं पूरे देश को रामनवमी की बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।’

‘साजिश के तहत कांग्रेस के आकाओं ने कराई महाराज प्रवीणचंद्र भंजदेव की हत्या’
छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों के सभी देवी-देवताओं और महाराज प्रवीणचंद्र भंजदेव को प्रणाम करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ‘उन्होंने जनजातियों के जल, जंगल, जमीन, वन, संस्कृति के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। यहां पर एक प्रजावत्सल राजा के रूप में उनकी लोकप्रियता थी, वह उस समय के कांग्रेस के आकाओं को सहन नहीं हुई और साजिश के तहत उनकी हत्या करवा दी गई। आज पूरा बस्तर लाल आतंक से मुक्त होने की कगार पर है। विकास के रास्ते पर चल चुका है। ऐसे समय में प्रवीणचंद्र की आत्मा बस्तर के आदिवासियों को अपना आशीर्वाद दे रही होगी।’

बस्तर पंडुम को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान
महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू जगजीवनराम जी की जयंती पर उन्हें नमन करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा, ‘उन्होंने देश के आदिवासी, पिछड़े वर्गों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। बाबूजी ने आजादी की लड़ाई भी लड़ी और स्वतंत्रता के बाद देश के विकास में बड़ा योगदान भी दिया। शाह ने बड़ा एलान करते हुए कहा कि अगले साल बस्तर पंडुम में देशभर के हर आदिवासी क्षेत्रों के कलाकारों को बस्तर में लाएंगे। इतना ही नहीं बस्तर पंडुम को अंतरराष्ट्रीय दर्जा देने के लिए भी दुनियाभर के राजदूतों को बस्तर के हर जिले में ले जाकर यहां की परंपराओं और संस्कृति से अवगत कराएंगे। यहां की परंपरा को पूरे विश्व तक पहुंचाने का कार्य भाजपा करेगी। इस आयोजन में 1885 ग्राम पंचायत, 12 नगर पंचायत, 8 नगर परिषद, एक नगर पालिका और 32 जनपद 47000 कलाकारों ने यहां भाग लिया है।

अगली बार 12 श्रेणियों में मनेगा बस्तर पंडुम
इस आयोजन के लिए बस्तर जिला प्रशासन ने पांच करोड़ की राशि आवंटित की थी। यह सबसे पहला इतना बड़ा संस्कृति उत्सव है। बस्तर की भाषा शैली, रहन-सहन, खान पान, पेय  पदार्थ, भोजन केवल छत्तीसगढ़ की ही नहीं बल्कि भारत की संस्कृति का गहना है।  इस बार सात श्रेणी में बस्तर पंडुम मनाया गया। अगली बार 12 श्रेणियां में मनाया जाएगा। देशभर के आदिवासी यहां पर आएंगे।

5500 रुपये में सरकार खरीदेगी तेंदूपत्ता
केंद्रीय गृहमंत्री ने छत्तीसगढ़ के सीएम साय को मंच के सामने आने का आह्वान करते हुए कहा कि आदिवासियों से 5500 रुपये में तेंदूपत्ता सीधा सरकार खरीदेगी। कोई दलाल के पास आपको नहीं जाना पड़ेगा। यह बहुत बड़ा फैसला है। लाल आतंक फैलाने के लिए जो आपका पैसा ले जाते थे, विष्णुदेव साय सरकार आपके बैंक अकाउंट में 5500 सीधा ट्रांसफर करेगी।

‘अनेकता में एकता ही भारत की ताकत है’
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ‘कुछ लोग कहते थे कि बस्तर पंडुम से क्या हासिल होगा। शायद उन्हें मालूम नहीं है कि अनेकता में एकता ही भारत की ताकत है। भारत की ताकत अनेक प्रकार की संस्कृतियों का समागम है। यहां की परंपराएं, कलाएं, भाषा, बोलियां, विविध प्रकार के व्यंजन यह सब यह सब मिलकर भारत बनता है। यह कांग्रेस को अब तक नहीं पता है। भारत दुनिया की हर स्पर्धा में टक्कर के साथ खड़ा रहेगा पर हम अपनी संस्कृति को भी संरक्षित करेंगे। बस्तर पंडुम से इसकी शुरुआत है। पंडुम की तरह ही हरस ला बस्तर ओलंपिक भी होगा।’

मुख्यधारा में शामिल हो जाएं नक्सली
अगली बार के बस्तर पंडुम में खुद आदिवासी राष्ट्रपति आएंगी
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकल फॉर वोकल का नारा दिया है। हर उत्पाद को जीआई टैग से जोड़ने की व्यवस्था की है। आज बस्तर का शिल्प, बांस कला, बेल मेटल, टेराकोटा, चित्रकला,  दिल्ली में सबको भेंट करने के काम आते हैं। इससे आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार मिलता है। बस्तर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों यहां के महापुरुषों को सम्मान दिलाने का कार्य केंद्र सरकार कर रही है। जो कभी कल्पना नहीं भी कर सकता था कि उन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिलेगा। उन्हें ढूंढ करके सम्मान देने का कार्य भाजपा सरकार ने किया है। 75 साल में कोई भी आदिवासी राष्ट्रपति नहीं बना था। भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू का देश का आदिवासी राष्ट्रपति बनाया। अगली बार के बस्तर पंडुम में खुद आदिवासी राष्ट्रपति आएंगी और इस आयोजन का उद्घाटन करेंगी।’

‘विकास के लिए बंदूक नहीं कंप्यूटर की जरूरत
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, ’75 साल तक कांग्रेस ने गरीबी हटाओ का नारा दिया पर गरीबी नहीं हटी। लोगों को सुविधाएं नहीं मिली। पीएम नरेंद्र मोदी ने 60 करोड़ गरीबों को दिया। 10 साल में चार करोड़ से अधिक गरीबों के लिए घर बनाए गए। केंद्र सरकार की उपलब्धियों का बखान करते हुए अमित शाह ने कहा कि विकास के लिए बंदूक नहीं कंप्यूटर की जरूरत है। विकास के लिए हाथ में आईईजी और हथगोला नहीं चाहिए, कलम चाहिए। उन्होंने बस्तरवासियों से आह्वान किया कि हर गांव से नक्सलियों को सरेंडर करवाकर मुख्यधारा में शामिल करवायें और नक्सलमुक्त गांव के विकास के लिये एक करोड़ रुपये सरकार देगी।’

अब स्कूलों की घंटियां बज रही हैं
उन्होंने कहा कि अब तक साल 2025 में 521 नक्सलियों ने सरेंडर किया है। साल 2024 में 881 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं, जो सरेंडकर करेंगे वो मुख्यधारा में होंगे और जो हथियार लेकर रहेंगे उनके साथ सुरक्षाकर्मी सामना करेंगे। शाह ने अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा कि मार्च 2026 से पहले देश नक्सलमुक्त होगा। आज धड़ल्ले से 50 हजार आदिवासी भाई-बहनों के साथ अष्टमी और रामनवमी मनाई जा रही है। जहां कभी-कभी गोलियां चलती थी अब वहां मशीनों की आवाज आ रही है। जहां कभी गांव वीरान थे। अब स्कूलों की घंटियां बज रही हैं। सड़क जहां स्वप्न था, वहां हाईवे बन रहे हैं। जहां बच्चा स्कूल जाने से डरता था, वहां कंप्यूटर पर बच्चा पूर्व विश्व के साथ बात कर रहा है। बस्तर का विकास इसलिए है कि अब कोई नक्सलवाद से जुड़ता नहीं है। विकास और विश्वास के साथ बस्तर के लोग आगे बढ़ रहे हैं।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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