कब्ज (Constipation) और पाचन (Digestion) दोनों का आपस में गहरा संबंध है। कब्ज तब होता है जब आंतों से मल का निकलना कठिन या कम होता है, जिससे पेट में भारीपन, पेट में ऐंठन,असहनीय दर्द, गैस और एसिडिटी हो सकती है। पाचन प्रक्रिया में खाना हमारे शरीर द्वारा अवशोषित किया जाता है और कब्ज पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकता है। डाइट में फाइबर का कम सेवन, कम पानी का सेवन और पाचन प्रक्रिया स्लो होने से मल निकलने में देरी होती है और कब्ज की परेशानी होती है। कब्ज की बीमारी के लिए कुछ खास कारण जिम्मेदार हैं जैसे डाइट में फाइबर की कमी, अधिक तला हुआ या भारी भोजन का सेवन, बॉडी एक्टिविटी में कमी, मानसिक तनाव और कुछ दवाओं का सेवन करने से पाचन पर असर पड़ता है और कब्ज की बीमारी पनपने लगती है।
कब्ज होने पर बॉडी में कुछ लक्षण दिखने लगते हैं जैसे पेट फूलना, पेट में ऐंठन, असहनीय दर्द, गैस एसिटिडी उल्टी, मतली जैसी दिक्कत होने लगती हैं। इसके अलावा लंबे समय तक कब्ज की बीमारी होने पर पाइल्स की समस्या भी हो सकती है।
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट आचार्य बालकृष्ण ने बताया तिल में औषधीय गुण मौजूद है जो रोगों को दूर करते हैं। तिल दो तरह के होते हैं एक सफेद तिल तो दूसरा काला तिल दोनों ही सेहत के लिए अमृत हैं। तिल का सेवन दांतों से लेकर आतों तक पर काम करता है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि तिल का सेवन कैसे कब्ज का इलाज करता है और आंतों में जमा मल को साफ करता है और तिल खाने से सेहत को कौन से फायदे होते हैं।
तिल का सेवन कैसे कब्ज का इलाज करता है?
तिल को आयुर्वेद में पित्त और वात को संतुलित करने वाला माना जाता है। यह पाचन क्रिया को प्रोत्साहित करता है और आंतों में गति को बढ़ाने में मदद करता है जिससे कब्ज का इलाज होता है। आचार्य बालकृष्ण के अनुसार तिल का सेवन पाचन को मजबूत करता है और पेट की गैस, अपच जैसी समस्याओं से बचाव करता है। तिल का सेवन कब्ज दूर करने का रामबाण इलाज है।मेडिकल साइंस से लेकर आयुर्वेदिक एक्सपर्ट तक इसके गुणों लोहा मानते हैं। इसमें फाइबर, विटामिन, खनिज, और हेल्दी फैट्स मौजूद होता हैं जो पाचन तंत्र को सुधारता है। इसका सेवन करने से आंतों की सेहत दुरुस्त रहती है। तिल में विशेष रूप से पाचन तंत्र को उत्तेजित करने और मल को सॉफ़्ट बनाने वाले गुण मौजूद होते हैं जो कब्ज को दूर करने में मददगार होते हैं। तिल में हेल्दी फैट और तेल मौजूद होता है जो आंतों में पानी को बनाए रखता है, जिससे मल सॉफ्ट होता है और आंते उसे आसानी से मलद्वार से बाहर निकाल देती हैं। तिल में एंटी-इन्फ्लेमेटरी और पाचन को बढ़ावा देने वाले तत्व होते हैं जो पाचन क्रिया को उत्तेजित करते हैं। यह आंतों की गति को सुधारता है और कब्ज को कम करता है।
तिल के सेहत के लिए फायदे
आचार्य बालकृष्ण के अनुसार तिल का सेवन उसके तेल के रूप में भी कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल स्किन से जुड़ी परेशानियों जैसे एक्जिमा, खुजली, सूखापन को दूर करने में किया जा सकता है। ये स्किन को हेल्दी और स्मूथ बनाता है। हड्डियों को हेल्दी रखने में तिल का सेवन जादुई असर करता है। आयुर्वेद में तिल को हड्डियों और जोड़ों के लिए एक प्राकृतिक टॉनिक माना जाता है।
यह गठिया और जोड़ों के दर्द को दूर करने में असरदार साबित होता है। तिल का सेवन शरीर की आंतरिक सफाई करता है और बॉडी को हेल्दी रखता है। तिल का सेवन करने से दिल की सेहत दुरुस्त रहती है। बॉडी की कमजोरी और थकान को दूर करने में तिल बेहद उपयोगी है। तिल में आयरन की भरपूर मात्रा होती है जो हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाती है और एनीमिया का उपचार करती है।