1991-92 बैच के आईपीएस ऑफीसर अरुणदेव गौतम ने छत्तीसगढ़ पुलिस का मुखिया बनकर जनपद को गौरवान्वित किया है। जैसे ही यह खबर उनके पैतृक गांव अभयपुर में पहुंची, पूरा गांव जश्न में डूब गया। कहीं सुंदरकांड का पाठ तो कहीं मिठाई बंटनी शुरू हो गई। ग्रामीणों ने खुशी में आतिशबाजी छुड़ाई।डीजीपी के ओहदे तक पहुंचे अरुणदेव गौतम पांच भाई व एक बहन हैं। वह पांच भाइयों में चौथे नंबर के भाई हैं। उनके तीन बड़े भाइयों में से सबसे बड़े भाई गिरजाशंकर सिंह गौतम इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं। वहीं दूसरे नंबर के भाई दयाशंकर सिंह गांव में रहकर खेती-किसानी का कार्य करते हैं।
जश्न में डूबा पूरा गांव
वहीं तीसरे नंबर के भाई अनिल कुमार सिंह रिटायर्ड क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी हैं। इसके अलावा उनके एक छोटे भाई जनमेजय सिंह हैं, जो सामाजिक सेवा व राजनीति में सहभागिता निभा रहे हैं। सबसे छोटी बहन साधना सिंह हैं। डीजीपी बनने की सूचना जैसी गांव पहुंची पूरा गांव जश्न में डूब गया।बड़े भाई दयाशंकर सिंह, जन्मेजय सिंह, गिरिजाशरण सिंह, मुन्ना सिंह, केके सिंह, अनिल सिंह, तन्मय, अचल, गब्बू, पुष्पेंद्र, आदित्य प्रताप सिंह गौतम, प्रीतम सिंह, विजयशंकर तिवारी, मोतीलाल यादव, साधू सिंह, मलखान, उर्मिला, वंदना, अंशिका, अनन्या, अविरल व दिव्यांशी गौतम ने आतिशबाजी छुड़ाकर सभी का मुंह मीठा कराया। दूरभाष पर नवनियुक्त डीजीपी ने कहा कि वह प्रयागराज के लेटे हनुमानजी के अनन्य भक्त हैं और मंगलवार को ही उन्हें छत्तीसगढ़ पुलिस की बड़ी जिम्मेदारी मिल गई।
कब कहां प्राप्त की शिक्षा
आठवीं तक- अभयपुर गांव के परिषदीय स्कूल में
नौंवी व दसवीं- सेवा समिति विद्या मंदिर इंटर कालेज रामबाग प्रयागराज
इंटरमीडिएट- जीआइसी प्रयागराज
स्नातक- इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज
परास्नातक- जेएनयू नई दिल्ली
पूर्व सदर विधायक के बहनोई हैं डीजीपी
छत्तीसगढ़ के डीजीपी बने अरुणदेव गौतम पूर्व सदर विधायक विक्रम सिंह के बहनोई हैं। डीजीपी का विवाह वर्ष 1994 में ज्योति गौतम के साथ कानपुर बर्रा में हुआ था। इसके दो पुत्र में बड़ा पुत्र अक्षत गौतम भुवनेश्वर में प्रवक्ता है, वहीं छोटा पुत्र डा. तन्मय गौतम विलासपुर सरकारी अस्पताल में चिकित्सक है।
धनुष-बाण व सुखबग्घी में माहिर थे अरुण
गांव के प्राइमरी स्कूल में सहपाठी रहे कृष्णकुमार सिंह, शीतलदीन निषाद ने बचपन की यादें साझ़ा करते हुए कहते हैं कि अरुण बचपन में रुसाह की धनुष बनाते थे और हम लोग सरई की तीर बनाकर खूब खेलते थे।