नई दिल्ली: शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन काफी खुश रहते हैं. इस दौरान दोनों परिवारों की तरफ से शादी में काफी खर्चा किया जाता है. हालांकि दहेज प्रथा आज भी कई परिवारों के नाक में दम कर रही है. दहेज के नाम पर आज भी दूल्हे कई डिमांड करते हैं. ऐक ऐसी ही खबर सामने आई है जिसमें दूल्हे ने शादी के दौरान एक डिमांड रखी थी. दुल्हन के परिवार ने डिमांड नहीं पूरी की तो युवक ने शादी तोड़ ली. इसके बाद दुल्हन मामले को लेकर सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई.बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि युवक अपनी दुल्हन को 3 लाख रुपए का मुआवजा दे, क्योंकि उसकी पत्नी सोने की मांग पूरी नहीं कर पाई थी. जज केवी विश्वनाथन और एसवी भट्टी की खंडपीठ ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत एम वेंकटेश्वरन नामक व्यक्ति की दोषसिद्धि को बरकरार रखा.
दूल्हे ने की ये डिमांड
दरअसल दुल्हन के परिवार ने दहेज के रूप में 100 सोने की मांग को अस्वीकार कर दिया था. इसके बाद युवक ने विवाह समारोह में सहयोग करने से इनकार कर दिया था. सर्वोच्च न्यायालय मद्रास उच्च न्यायालय के 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इसमें IPC की धारा 498ए और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 4 के तहत एम वेंकटेश्वरन (अपीलकर्ता) की दोषसिद्धि की पुष्टि की गई थी.
यह मामला वेंकटेश्वरन की पत्नी श्रीदेवी द्वारा लगाए गए आरोपों से उपजा है, जिसमें उन्होंने उन पर अपनी शादी के दौरान दहेज उत्पीड़न और मानसिक क्रूरता का आरोप लगाया था. शादी केवल तीन दिनों तक चली थी. यह आरोप लगाया गया था कि वेंकटेश्वरन ने दहेज की मांग पूरी न होने के कारण शादी के रिसेप्शन के दौरान सहयोग करने से इनकार कर दिया था.दोनों के बीच शादी 2006 में संपन्न हुआ था. लेकिन कुछ समय बाद ही समाप्त हो गया. इसके कारण 2007 में वेंकटेश्वरन, उनके दिवंगत पिता और उनके भाई पर धारा 498ए आईपीसी (पत्नी के साथ क्रूरता), धारा 406 आईपीसी (आपराधिक विश्वासघात), धारा 420 आईपीसी (धोखाधड़ी), धारा 506 (2) आईपीसी (आपराधिक धमकी), और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 4 (दहेज मांगने के लिए दंड) के तहत आरोप लगाया गया.