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किस दुकान से खरीदा चावल, तिरुपति राईस मिल में मिला 380 बोरा पीडीएस चावल

रायगढ़, 4 जनवरी। राईस मिलर्स को मिले धान से चावल कूटकर बाहर बेच दिया गया। अब पुराना चावल जमा करने का दबाव आया तो पीडीएस चावल खरीदकर जमा किया जा रहा है। गरीबों के लिए जो चावल सरकार भेजती है, वह मिलों में पहुंच जाता है। पुलिस ने कांशीराम चौक के पास स्थित तिरुपति राइस मिल में छापा मारकर 380 बोरी पीडीएस चावल जब्त किया है।कांग्रेस के शासनकाल में भाजपा ने पीडीएस घोटाले का आरोप लगाया था। पीडीएस दुकानों से गरीबों के लिए भेजे गए चावल का गबन कर लिया गया था। दुकानों से अब भी वसूली हो रही है। पीडीएस चावल का घोटाला कभी बंद ही नहीं हुआ। अब भी राशन दुकानों से चावल बाहर बेचा जा रहा है। दुकान संचालक और राइस मिलर्स का गठजोड़ को जूट मिल पुलिस ने पकड़ा है। बताया जा रहा है कि तीन दिन पहले पुलिस ने कांशीराम चौक स्थित तिरुपति राइस मिल में छापा मारा। वहां 380 बोरा चावल मिला जिस पर दूसरे मिलों का फ्लैग लगा हुआ था। नागरिक आपूर्ति निगम के गोदाम से पीडीएस दुकान भेजा गया चावल मिल कैसे पहुंचा, इसका जवाब मिल संचालक नहीं दे पाया।

पुलिस ने मामला पंजीबद्ध कर खाद्य विभाग के सुपुर्द कर दिया है। चावल की कीमत करीब पांच लाख है। इतना चावल किस दुकान से खरीदा गया, इसकी जांच होनी है। दरअसल गरीबों को चावल वितरण करने के बजाय डबल फायदा कमाने के लिए चावल बेच दिया जाता है। वर्तमान में धान की कीमत 3100 रुपए होने के कारण अतिरिक्त धान भी महंगा हो गया है। खाद्य विभाग अब दूसरे मिलों के बोरे में लगी सील, नान गोदाम से जारी तारीख के हिसाब से यह पता लगाएगी कि उक्त बोरियां किस दुकान में खाली की गई थी। एक बड़े रैकेट के उजागर होने की संभावना है।

हर साल लगती है आग, क्या है कहानी
छातामुड़ा क्षेत्र के तीन-चार राइस मिल पीडीएस चावल की खरीदी करते हैं। सरकार ने 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदी प्रारंभ की है जिसकी वजह से मिलों को अतिरिक्त धान नहीं मिल रहा है। वर्ष 23-24 में मिले धान की मिलिंग अब तक नहीं की गई है। एफसीआई में चावल जमा करना शेष है। नए सीजन का चावल नान में जमा करना शुरू हो चुका है। तिरुपति राइस मिल के साथ एक इत्तफाक और है। इस मिल में हर साल आग लगती है जिसमें लाखों का नुकसान होता है।

क्या कहते हैं एफओ
तिरुपति राइस मिल में पीडीएस चावल मिलने का प्रकरण आया है। इसकी जांच कर रहे हैं।
– खोमेश्वर सिंह, खाद्य अधिकारी

Manoj Mishra

Editor in Chief

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