धान की अगेती किस्मों की कटाई के बाद, रबी सीजन की तैयारी में किसान जुट चुके हैं. अररिया के किसान इस सीजन में गेहूं, चना, मक्का के साथ सरसों की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सरसों की खेती के लिए अक्टूबर से नवंबर का समय सर्वोत्तम होता है.इसके लिए 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श है. खेत की अच्छी जुताई और उचित तैयारी से किसान सरसों की बेहतर पैदावार हासिल कर सकते हैं. बलुई दोमट मिट्टी में सरसों की खेती अधिक उपयुक्त होती है.भरगामा प्रखंड के रहरिया गांव की महिला किसान गिबीय बरी ने बताया कि वह आधे एकड़ जमीन पर सरसों की खेती करती हैं, जिसे साग के रूप में सप्लाई किया जाता है. 22-25 दिनों में सरसों का साग तैयार हो जाता है, जो स्थानीय बाजारों में काफी लोकप्रिय है.सरसों का साग स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. इसमें विटामिन सी, आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और शरीर को ठंड के मौसम में एनर्जी देते हैं.इस पौष्टिक साग को एनर्जी का पावर हाउस भी कहा जाता है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार है. किसानों के लिए सरसों की खेती एक लाभदायक विकल्प बनकर उभरी है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो रही है.
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