आहोर के वलदरा गांव में एक नवजात बच्चे को कचरे में फेंकने का मामला सामने आया, जो अब गांवभर में चर्चा का विषय बन गया है. रात के अंधेरे में किसी ने इस मासूम को कचरे के ढेर में फेंक दिया, जहां वह कुत्ते के जबड़े में फंसकर खेत तक पहुंच गया. कुत्ता उसे मिट्टी में छिपाने की कोशिश कर रहा था, तभी गांववासियों की नजर पड़ी और उन्होंने उसे तुरंत बचा लिया. इसके बाद, बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया और उसकी जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने रातभर मेहनत की.15 नवंबर की सुबह एक खेत में यह नवजात कुत्ते के जबड़े में पाया गया था. कुत्ते ने उसे खेत के बाड़ में मिट्टी में छिपाने की कोशिश की. ग्रामीणों ने तुरंत उसे बचाया और भूति अस्पताल ले गए, जहां से उसे जालोर भेजा गया. रणवीर को कचरे में फेंके जाने की घटना ने इलाके में कई सवाल उठाए हैं. भाद्राजून पुलिस इस मामले की जांच में जुटी हुई है और आसपास के क्षेत्रों के सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है. जांचकर्ताओं का मानना है कि नवजात को फेंकने वाले व्यक्ति ने उसे किसी वाहन से कचरे में डाला और फिर उसे जानवर के हवाले कर दिया.मौत को दोहरी मात देने के बाद नवजात को ‘रणवीर’ नाम दिया गया, जो अब गांव की पहचान बन चुका है. इस मासूम की जान बचाने के लिए 27 परिवार सामने आए हैं, जो उसे गोद लेने के लिए तैयार हैं. हालांकि, नवजात को छह महीने की उम्र से पहले गोद नहीं लिया जा सकता, लेकिन इस कहानी ने यह साबित कर दिया कि समाज में अब भी इंसानियत और मानवता जिन्दा है
इस घटना के बाद सभी कि गांववासी और प्रशासन अब संवेदनशील हो चुके हैं, और पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है. भाद्राजून पुलिस क्षेत्र के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है, ताकि नवजात को फेंकने वाले का पता लगाया जा सके. रणवीर की संघर्षपूर्ण यात्रा अब न केवल एक प्रेरणा बन चुकी है, बल्कि इसने समाज में जागरूकता भी बढ़ाई है.