भिलाई। चार माह की योगनिद्रा के बाद के सृष्टि पालनहार श्रीहरि भगवान विष्णु मंगलवार यानी देव उठनी एकादशी पर जागेंगे। साल के 12 माह में कार्तिक माह में आने वाले एकादशी को सर्वश्रेष्ठ इसलिए कहा जाता है। आज तुलसी-शलीग्राम के विवाह की भी परंपरा है। देवउठनी, देवोत्थान और देवप्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाने वाला यह पर्व हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक है। देवउठनी एकादशी में तुलसी-शालीग्राम के विवाह की तैयारियों में पुरी इस्पात नगरी जुटी हुई है। आइए जानते हैं पूजा का शुभमुहूर्त का संयोग।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवउठनी, देवोत्थान और देवप्रबोधिनी के नाम से जाना जाता है और इस तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी पर चार महीने की अपनी योगनिद्रा से जागते हैं। भगवान विष्णु के जागने पर इस दिन तुलसी विवाह किया जाता है। तुलसी विवाह के लिए गन्ने का मंडप बनाने की भी परंपरा है। एकादशी को देखते हुए भिलाई दुर्ग में एक दिन पहले सोमवार को यूपी, झारखंड व एमपी से गन्नों से भरी कई ट्रकें पहुंची। एक दिन में ही हजारों गन्ने बिक गए। शहर के सभी बाजारों में गन्नों की रौनक दिखी।
जमकर हुई गन्नों की बिक्री
तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त व तिथि
पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर की शुरुआत 11 नवंबर की शाम 6 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी। वही तिथि का समापन 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर होगा। उदयव्यापनी एकादशी 12 नवंबर को होने से देवउठनी एकादशी इसी दिन मनाई जाती है। इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा। 12 नवंबर 2024 को तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में शाम 5 बजकर 29 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।
तुलसी विवाह का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी पर चार महीने की योगनिद्रा के बाद जब प्रभु जागते हैं तो उस दिन सभी देवी-देवता मिलकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि निद्रा से जागने के बाद भगवान विष्णु सबसे पहले तुलसी की पुकार सुनते हैं इस कारण लोग इस दिन तुलसी का भी पूजन करते हैं और मनोकामना मांगते हैं। इसीलिए तुलसी विवाह को देव जागरण के पवित्र मुहूर्त के स्वागत का आयोजन माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी-शालिग्राम विवाह कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है,दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है। भगवान विष्णु के जागने पर चार महीने से रुके हुए सभी तरह के मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार तुलसी-शालिग्राम का विवाह करने पर कन्यादान के बराबर का पुण्य लाभ मिलता है। अगर किसी के विवाह में तरह-तरह की अड़चनें आती हैं या फिर विवाह बार-बार टूटता है तो इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन शुभ माना गया है।
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