जिले के काको प्रखंड स्थित अमथुआ गांव के कई किसान पानी फल की खेती कर रहे हैं. यहां 25 साल के युवा किसान नवीन अपने पिताजी के सहयोग से पानी फल यानी सिंघाड़ा की खेती कर रहे हैं. 2 बीघा जमीन पर खेती कर रहे हैं. उन्होंने Local18 को बताया कि हम इसकी खेती करने के लिए पटना से पहले बीज लाते हैं इसके बाद बुआई करते हैं. सिंघाड़ा की बुआई अगस्त माह में करते हैं. वहीं, इसमें फलन की शुरुआत नवंबर से होती है. एक माह तक यह फल टूटता है. 4 से 5 महीने में पूरी तरह से तैयार हो जाता है. छठ के समय में इसकी मांग खूब रहती है.युवा किसान नवीन कहते हैं कि इसकी बुआई से लेकर दवाई में कुल 20000 से 25000 हजार रुपए खर्च आता है. यदि इसे आप आप दो बीघा में करें तो. वहीं, फायदे की बात की जाए तो 50000 से 60000 रुपए की शुद्ध कमाई हो जाती है. कभी कभी ज्यादा भी हो जाता है. इसकी सप्लाई करने के लिए हमें बाहर न के बराबर जाना पड़ता है. खुद व्यापारी हमारे खेत पर ही आकर ले जाते हैं. हमारे यहां से जहानाबाद, हुलासगंज, इस्लामपुर लोकल मार्केट में जाता है. इसके अलावा बात करें तो छठ महापर्व में व्यापक तरीके से इसकी सेलिंग होती है. ऐसे में देखा जाए तो इस फसल से कम समय में ठीक ठाक कमाई हो जाती है.युवा किसान नवीन की उम्र 25 साल है. वे एक तरफ पढ़ाई करते हैं तो दूसरी तरफ पिताजी को खेती में सहयोग करते हैं. वे बताते हैं कि हमारे यहां बहुत पहले से ही सिंघाड़े की खेती होती चली आ रही है. हमारे दादा जी ही इसकी खेती करते थे.
0 2,500 1 minute read