Blog

Gustakhi Maaf: जल्द ही नून बासी पर लौटना होगा

-दीपक रंजन दास
रसोई का खर्च लगातार बढ़ रहा है. मुफ्त के हजार रुपए की अब जनता को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. लगातार बढ़ती जा रही महंगाई के खिलाफ कहीं से कोई आवाज नहीं उठ रही. पिछले मुख्यमंत्री लालटेन उठाए घूम रहे हैं. बिजली के दामों को लेकर उनका यह विरोध प्रदेश व्यापी आंदोलन की जमीन तैयार कर रहा है. पर लगता नहीं है कि इसका कोई खास असर होने वाला है. नेता सिर्फ विरोध प्रदर्शन करके रह जाएंगे. इसकी वजह यह है कि जनता चुप है. पिछले कुछ ही महीनों में चावल, दाल, गेहूं, तेल, मसाले, सब्जियां सब की सब 25 से 30 फीसदी महंगी हो गई हैं. इसके साथ ही बिजली का बिल, इंटरनेट और मोबाइल का बिल भी इस महीने से बढ़ गया है. चिकित्सा और शिक्षा जो पहले से ही महंगी है, वह और महंगी हो गई है. पर जनता कराहना तो दूर, उफ्फ तक नहीं कर रही. इसके दो ही मतलब निकाले जा सकते हैं. पहला तो यह कि जनता के पास काफी पैसा है. वह न केवल महंगा राशन खरीद रही है, बल्कि शहरी आबादी तो होटलों में एक वक्त के भोजन पर हजार-पंद्रह सौ रुपए खर्च कर रही है. दूसरा यह कि जनता में अब विरोध करने की या तो ताकत नहीं बची या फिर ऐसा नेता नहीं बचा जो इस मोर्चे पर उनकी अगुवाई कर सके. परिवारों ने युवाओं के छोटे-मोटे जेब खर्च बंद कर दिये हैं. इसलिए वो समूह बनाकर अपराध की ओर बढ़ रहे हैं. चोरी-चकारी के मामलों में बेतहाशा इजाफा हुआ है. मवेशी तस्करी और मादक पदार्थ तस्करी के मामले बढ़े हैं. लेन-देन को लेकर मारपीट की घटनाएं तो पहले भी होती रही हैं पर हाल में बस्तर से एक चौंकाने वाली खबर आई है. वहां हफ्ता वसूली कर रहे कुछ युवकों ने इसका विरोध कर रहे युवक को चाकुओं से गोद दिया. देश के नेता बार-बार कहते हैं कि भारत एक युवा देश है जिसमें आगे बढ़ने और तरक्की करने की असीम संभावनाएं हैं. हालांकि इसमें गलत भी कुछ नहीं है पर इसके लिए माहौल बनाने की जिम्मेदारी निश्चित तौर पर सरकार की है. कह देना आसान है कि नौकरी नहीं मिलती तो छोटा-मोटा काम शुरू कर लो. तो क्या संगठित अपराध को भी छोटे-मोटे काम में शुमार किया जा सकता है. इसी साल 16 मई को आई आब्जर्वर फाउंडेशन की रिपोर्ट इस दिशा में खतरे की घंटी बजाती प्रतीत होती है. रिपोर्ट ने स्थापित तथ्यों को ही नए रूप में प्रस्तुत किया है. रिपोर्ट कहती है कि किसी भी गांव, शहर, राज्य या देश की तरक्की तभी हो सकती है जब वहां शांति हो. क्षेत्र अशांत रहा तो न तो वहां निवेश होगा और न ही रोजगार पैदा करने वाले उद्यमी वहां कारखाना लगाना चाहेंगे. रोजगार के ढंग के अवसर सिमटते चले जाएंगे तो बेढंगे तरीके से ही सही पर लोग अपना काम तो चलाएंगे ही.

The post Gustakhi Maaf: जल्द ही नून बासी पर लौटना होगा appeared first on ShreeKanchanpath.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button