पहले खरगोन जिले में सरदा की खेती कई जगहों पर होती थी. लेकिन, अब अधिकतर तालाबों में नहर का पानी भरने से यहां खेती बंद हो गई. वर्तमान में महेश्वर तहसील के शालीपुरा और सिरस्या तालाब में सरदा की खेती किसान कर रहे हैं. इसके पहले चोली और मंडलेश्वर तालाब में भी किसान सरदा उगाते थे, परंतु विगत दो साल से यहां खेती बंद है, क्योंकि सालभर इन तालाबों में पानी भरा रहता है.मध्य प्रदेश के खरगोन में जिन तालाबों में पानी सूख जाता है. वहां किसान सरदा की खेती करते हैं. किसान संदीप गिरवाल ने लोकल 18 को बताया कि फरवरी मार्च में इसकी खेती करते है. मई में फल आना शुरू हो जाते हैं. खास बात यह है कि पूरे साल में महज डेढ़ से दो महीने ही यह फल खाने को मिलता है.बता दें, कि किसान फलों को तोड़कर बाजार में बेचने लाते हैं. लेकिन, डिमांड इतनी है कि सुबह 8 से 9 बजे तक सारी दुकानों पर सरदा बिककर खत्म भी हो हो जाता है. खाने के शौकीन इंदौर, सनावद, खंडवा तक के लोग यहां के सरदा का स्वाद चखने आते हैं.सरदा खाने में तो लाजवाब होता ही है. साथ ही इसके दाम भी बेहद कम होते है. बाजार में महज 30 से 40 रुपए किलो के भाव बिकते हैं. किसान सुबह 4 बजे से सरदा तोड़ने तालाबों में पहुंच जाते हैं. यहीं नहीं खाने के शौकीन भी ताजे सरदा का स्वाद चखने सुबह से सीधे तालाबों पर पहुंच जाते हैंकिसान कमल डावर ने कहा कि पहले चोली तालाब में सरदा की खेती होती थी. यहां उगने वाले सरदा की लोगों में खास डिमांड रहती थी. गर्मी के दिनों में सरदा खाना सेहत के काफी लाभदायक माना जाता है. सरदा शरीर में पानी की कमी को दूर करता है. साथ ही पाचन क्रिया को भी मजबूत करता है.

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