भारत में सरकारी नौकरी को सबसे सिक्योर जॉब माना जाता है. खास बात जब सिविस सर्विसेज की हो. दरअसल, सिविस सर्विसेज या यूं कहें IAS-IPS की नौकरी हासिल करने के लिए उम्मीदवारों को यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करनी होती है, जिसे देश की सबसे कठिन परीक्षा कहा जाता है. हर साल लाखों उम्मीदवार इस परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन सफलता केवल कुछ गिने-चुने उम्मीदवारों को ही मिलती है. आज हम आपको एक ऐसे ही उम्मीदवार आदित्य विक्रम अग्रवाल के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपनी सिक्योर कॉर्पोरेट जॉब को छोड़कर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की और उसमें ऑल इंडिया रैंक 9 हासिल कर एक मिसाल पेश की है.
5 प्रयासों के बाद मिली सफलता
दरअसल, आदित्य बहादुरगढ़ के सेक्टर 2 के रहने वाले हैं. उन्होंने NIT प्रयागराज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने टाटा मोटर्स में कुछ समय तक काम किया, लेकिन उनकी इच्छा IAS अधिकारी बनने की थी, इसलिए उन्होंने अपनी कॉर्पोरेट जॉब छोड़ दी और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में लग गए. हालांकि, उन्हें सफलता पाने के लिए 5 प्रयास करने पड़े. उनकी यह यात्रा दृढ़ता, अनुशासन और परिवार के अटूट समर्थन को दर्शाती है.
इन क्षेत्रों में लाना चाहते हैं सुधार
आदित्य ने अपनी इस यात्रा को याद करते हुए कहा, “कई बार मैं निराश हुआ, लेकिन मेरे माता-पिता, बहन और दोस्त हर मुश्किल में मेरे साथ खड़े रहे. उनके प्रोत्साहन ने मुझे आगे बढ़ने में काफी मदद की.” उन्होंने आगे कहा, “मैं एक आईएएस अधिकारी के रूप में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और पर्यावरणीय स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करके देश की सेवा करना चाहता हूं. मेरे माता-पिता ने मुझे ईमानदार रहना और लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध रहना सिखाया है. यही वह सिद्धांत है जिसे मैं अपनी सेवा में अपनाऊंगा.”
रिजल्ट का दिन मां के लिए जीवन में सबसे खुशी भरा
आदित्य की मां मधु अग्रवाल परिणाम घोषित होने के दिन को अपने जीवन के सबसे खुशी भरे दिनों में से एक के रूप में याद करती हैं. उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “ऐसा लगा जैसे हमारी सारी दुआएं कबूल हो गईं. हमने उसके पसंदीदा व्यंजन बनाकर और मंदिर जाकर आशीर्वाद लेकर जश्न मनाया.” वहीं, आदित्य के पिता राम अवतार ने कहा, “हमने उसे हमेशा यही सिखाया कि ईमानदारी और देश सेवा सबसे ज्यादा मायने रखती है. उसे पूरी ईमानदारी से यह मुकाम हासिल करते देखकर हमें गर्व होता है
इस कारण 5 प्रयासों तक नहीं मानी हार
दरअसल, आदित्य का जुनून किताबों से कहीं आगे तक फैला है. उन्हें खाना बनाना पसंद है और उनका मानना है कि संतुलन बनाए रखना सफलता की कुंजी है. उनकी बड़ी बहन, जो उन्हें हमेशा प्रेरित करती रही है, उन्होंने कहा कि आदित्य के शांत स्वभाव और एकाग्रता ने उसे बार-बार आने वाली निराशाओं से उबरने में मदद की. आज आदित्य की कहानी हर उस युवा उम्मीदवार के लिए आशा की किरण है, जो अपने आराम को पीछे छोड़कर उद्देश्यपूर्ण राष्ट्र की सेवा करने का साहस करता है.





