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उत्तर से दक्षिण भारत तक मौसम ने ली करवट, जानें छत्तीसगढ़ में कैसा रहेगा मौसम

देश के कई हिस्सों में मौसम में नरमी देखी जा रही है। आसमान में बादल और हवाओं ने लोगों को गर्मी से राहत दी है। इस बीच मौसम विभाग ने पूर्वोत्तर भारत में 21 अप्रैल तक आंधी और गरज के साथ मध्यम वर्षा का पूर्वानुमान जारी किया है। मौसम विभाग ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय के कुछ भागों में अगले छह दिन तक यह स्थिति बनी रहेगी।

वहीं छत्तीसगढ़ में मंगलवार सुबह भी तापमान सामान्य देखने को मिला। मौसम विभाग ने प्रदेश के कई जिलों में बारिश होने की संभावना जताई है। मौसम विभाग ने राजधानी रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बलौदाबाजार, भिलाई, बलरामपुर, बस्तर, जगदलपुर, भाटापारा, बिलासपुर, मुंगेली, सूरजपुर, दंतेवाड़ा समेत अन्य कई जिलों में बारिश होने की संभावना जताई है। मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश के कई जिलों में तेज आंधी तूफ़ान के साथ बारिश होगी।

अगर उत्तर भारत की बात करें तो जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ भागों में इस महीने की 18 से 21 तारीख तक चालीस किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति से तेज हवाएं चल सकती हैं। हरियाणा, दिल्‍ली और उत्तर प्रदेश में अगले दो दिनों तक चालीस किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं।

दक्षिण के राज्यों में केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और लक्षद्वीप में 18 से 21 तारीख तक गरज और बिजली कड़कने के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। इस बीच मौसम विभाग ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ क्षेत्रों में अगले तीन दिनों तक भीषण गर्मी की आशंका व्यक्त की है। साथ ही पश्चिम बंगाल, ओडिशा, गोवा, गुजरात और कर्नाटक में आज और कल तथा तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और आंध्र प्रदेश में अगले चार दिनों तक मौसम गर्म और उमस वाला रहेगा।

सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान

वहीं इससे पहले मौसम विभाग ने इस बार मानसून को लेकर पूर्वानुमान जारी किया है। भारत में ला नीना प्रभाव के कारण इस बार मानसून के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान है। हालांकि वर्षा वितरण और काल अवधि में अंतर के चलते कुछ स्थानों पर ज्यादा और कम वर्षा हो सकती है। इसके साथ ही मौसम विभाग ने कहा कि जून से सितंबर 2024 में दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान पूरे देश में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।

ला नीना और अल नीनो क्या है

ला नीना समुद्री धाराओं के प्रभाव से समुद्र के तापमान में कमी दर्शाता है। अल नीनो यानी समुद्र के तापमान में वृद्धि की स्थिति से ला नीना की स्थिति में आने से अक्सर अधिक वर्षा होती है। भारत में वर्ष दर वर्ष सामान्य से अधिक वर्षा हो रही है। हालांकि वर्षा का वितरण और काल अवधि घटने के कारण कुछ स्थानों पर थोड़े समय के लिए अधिक वर्षा देखी जाती है। इससे बाढ़ और सूखे जैसे हालात पैदा होते हैं। बता दें कि भारत में लगभग 70 प्रतिशत वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून के चलते होती है। यह वर्षा कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है।

Manoj Mishra

Editor in Chief

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