-दीपक रंजन दास
नरबलि प्रथा भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लगभग सभी देशों में कभी न कभी रही है. ब्रिटिश काल में भारत सहित कई देशों में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया. बावजूद इसके कभी धन प्राप्ति के लिए, कभी अच्छी बारिश तो कभी अच्छी फसल के लिए चोरी छिपे नर बलि होती रही. भले ही अब ये घटनाएं अत्यंत विरल हो चुकी हैं पर नरबलि पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई है. बलि से आम तौर पर लोगों के मन में चित्र बनता है वह देव प्रतिमा के सामने तलवार या गंडासे से किसी का सिर काट देने का है. पर बलि देने के और भी तरीके हैं. गुपचुप तांत्रिक तरीके से भी लोगों को मौत के घाट उतारे जाने की बातें सुनने में आती हैं. हालिया घटना बिहार के पूर्णिया की है. यहां सोमवार को एक ही परिवार के 5 लोगों की लाशें बरामद की गईं. लोगों ने बताया कि पिछले 2 साल में गांव के 6 लोगों की मौत रहस्यमय तरीके से हो गई. गांव वाले इसके लिए बाबूलाल उरांव के परिवार को ही दोषी मानते थे. हत्याकांड से ठीक 3 दिन पहले एक बच्चे की मौत के बाद लोगों का गुस्सा फूटा और भीड़ ने 5 लोगों को मारपीट कर जिंदा जला दिया. उन्हें शक था कि सिद्धि के लिए उरांव परिवार बलि देता है. इस तरह वह झाड़फूंक के लिए शक्ति इकट्ठा करता है. पिछले कुछ सालों में शक्ति, संतान या संपत्ति के लिए ऐसी अनेक घटनाएं सामने आई हैं. 17 अगस्त और 26 सितम्बर 2022 को केरल में लॉटरी बेचने वाली दो महिलाएं गायब हो गईं. दोनों एक व्यक्ति के सम्पर्क में थीं जिसने दोनों महिलाओं को भगवल सिंह और उसकी पत्नी लैला से मिलवाया था. पत्थानमत्थिट्टा निवासी इस दंपति ने अमीर बनने की एक तांत्रिक क्रिया के तहत दोनों महिलाओं की बलि दे दी थी. इससे पहले 11 जुलाई 2019 को झारखंड के लातेहार गांव में दो लापता बच्चों की लाश मिली. दोनों के सिर कटे हुए थे. अलग-अलग परिवारों के इन बालकों की बलि के अपराध में सुनील उरांव को गिरफ्तार किया गया. 23 मार्च 2015 को उत्तरी बस्तर के पखांजुर थाना अंतर्गत एक 8 साल का बच्चा लापता हो गया. उसका अपहरण उसके रिश्तेदार समीर ने किया था. उसकी भी बलि दे दी गई थी. 21 अक्तूबर 2011 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के जेलबाड़ा की ललिता की बलि दे दी गई. उसके दो पड़ोसियों ने अच्छी फसल के लिए बच्चे की बलि दी थी. इससे पहले 23 नवम्बर 2011 को छत्तीसगढ़ के भिलाई में एक 2 साल के बच्चे की बलि मोहल्ले में ही रहने वाले एक तांत्रिक परिवार ने चढ़ा दी. तंत्र मंत्र में आस्था होगी तो लोग तांत्रिक के पास ही जाएंगे. बड़ी संख्या में नेता, अभिनेता आज भी तांत्रिकों के चक्कर काटते मिल जाएंगे. यह बीमारी आसानी से नहीं जाने वाली.
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