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मध्य प्रदेश, एसईसीआई और एसजेवीएन के बीच बिजली खरीदने को लेकर हुआ करार

मध्य प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा भंडारण योजनाओं पर एमपीईआरसी का निर्णय
भोपाल/ भारत को वर्ष 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनाने और 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य को पूरा करने के प्रधानमंत्री के विज़न को समर्थन देते हुए, मध्य प्रदेश सरकार ने एसईसीआई और एसजेवीएन (भारत सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ) से 3300 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा की खरीद को मंजूरी दी है। यह खरीद दीर्घकालिक बिजली बिक्री अनुबंध के तहत भारत सरकार की योजना में की गई है। राज्य सरकार ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए इस खरीद की अनुमोदित क्षमता के लिए एमपीईआरसी से मंजूरी प्राप्त कर ली है। इस ऊर्जा पर 50% आईएसटीएस ट्रांसमिशन शुल्क माफ होगा, जिससे यह विकल्प बेहद किफायती होगा। यह पहल राज्य को आरपीओ की पूर्ति और उपभोक्ताओं पर मूल्य भार घटाने में सहायक बनेगी।

एमपीपीएमसीएल द्वारा प्रस्तुत याचिका संख्या 33/2025 राज्य में भविष्य की बिजली आवश्यकताओं और नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार को ध्यान में रखते हुए एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है। इसका उद्देश्य 2024-25 से 2029-30 तक राज्य की बढ़ती ऊर्जा माँग को पूरा करना और विभिन्न स्रोतों से हरित ऊर्जा की पर्याप्त व्यवस्था करना है।

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इस प्रस्ताव में 800 मेगावाट पवन ऊर्जा, 1290 मेगावाट सौर ऊर्जा (पीएम-कुसुम योजना), 252 मेगावाट जलविद्युत (दिबांग परियोजना) और 3300 मेगावाट अतिरिक्त सौर ऊर्जा (एसईसीआई व एसजेवीएन के माध्यम से) की खरीद शामिल है।

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2029-30 तक एमपीपीएमसीएल को कुल 28.13% आरपीओ लक्ष्य हासिल करना है। आयोग ने याचिका के अधिकांश बिंदुओं को सैद्धांतिक मंजूरी दी, लेकिन पिछली अपूर्ण आरपीओ को अगले वर्षों में स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं दी। साथ ही, आयोग ने बीईएसएस परियोजनाओं को भविष्य की ऊर्जा स्थिरता के लिए महत्त्वपूर्ण माना है।

यह आदेश न सिर्फ पारदर्शिता और दीर्घकालिक दृष्टिकोण दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि ऊर्जा नीति में अनुबंधों की मजबूती, समयबद्धता और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व काफी महत्वपूर्ण हैं।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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