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Gustakhi Maaf: डीएलडी, ओएलडी और साइकोपैथ

-दीपक रंजन दास
एक विद्यार्थी को क्लास की सभी लड़कियों से प्यार हो गया। उसे लगता कि सभी लड़कियां कनखियों से उसे ही देखती हैं, उसकी बातें सुनने के लिए मरी जाती हैं। वह जब चाहे, जिसका चाहे हाथ पकड़ सकता है, उसे किस कर सकता है। जब उसकी हरकतों से परेशान लड़कियां उसका विरोध करती तो उसे लगता कि वो नखरे कर रही है या शर्मा रही है। बहरहाल, युवक की शिकायत हुई और उसका साइकोलॉजिकल टेस्ट कराया गया। पता चला कि उसे डिल्यूजनरी लव डिसऑर्डर (डीएलडी) की समस्या है। ऐसे लोगों को लगता है कि सभी उसके प्यार में पागल हो रहे हैं, बस कह नहीं पा रहे। हालांकि यह छात्र चीन के एक विश्वविद्यालय का है जहां ऐसी शिकायतों के बाद आरोपी का साइकोलॉजिकल टेस्ट कराया जाता है। ऐसा कोई हिन्दुस्तान में करता तो उसकी पिटाई कर दी जाती, मुंह काला कर दिया जाता और सिर मूंडकर गले में जूतों की माला पहना दी जाती। हमारा दृढ़ विश्वास है कि मारपीट से प्यार का नशा हिरन हो जाता है और भूत भी भाग जाते हैं। फिर भी न मानें तो अभी पेड़ों का इतना भी अकाल नहीं पड़ा है कि उसे लटकाने के लिए शाख कम पड़ जाएं। बहरहाल, बात मनोविकारों की चली तो कुछ और स्थितियों की भी चर्चा कर लेते हैं। बंगाल में भाजपा के एक प्रत्याशी ने चुनाव प्रचार के दौरान एक युवती का गाल चूम लिया। वह बेंगलुरू में नर्सिंग की छात्रा है। वह भाजपा के ही एक कार्यकर्ता की बेटी है। हो सकता है नेताजी का उसके घर पर भी आना जाना हो और वो छात्रा को तब से जानते हों जब वो छोटी बच्ची थी। स्नेहातिरेक में ऐसा करना स्वाभाविक हो सकता है। पर यही हरकत अगर किसी कांग्रेसी नेता ने की होती तो अब तक बवाल मच जाना था। नेहरू-एडविना से लेकर थरूर तक की फोटो छप जानी थी। एनडी तिवारी को भी घसीटा जा सकता था। मनोवैज्ञानिक समस्याएं कई तरह की होती हैं। इन्हीं में से एक है आबसेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर। इसमें किसी के प्रति हद से ज्यादा आकर्षण हो सकता है, नकारे जाने पर हिंसात्मक भाव आ सकते हैं, एक प्यार की खातिर वह पूरी दुनिया से बगावत कर सकता है। प्यार को हासिल करने का ऐसा जुनून उसपर छा सकता है कि वह पूरी दुनिया को आग लगा सकता है। गरीब टाइप के सामान्य लोग ओसीडी में मारा-मारी करते हैं, खून-खराबा करते हैं, दूसरों को या खुद को नुकसान पहुंचा लेते हैं। पर खूब पढ़े लिखे और रसूखदार लोग ऐसी स्थिति में विष बीज बोते हैं। ऐसी स्थिति तब बनती है जब व्यक्ति किसी व्यक्ति या विचारधारा से बेइंतहा प्यार करता है। वह इस प्यार का अपमान बर्दाश्त नहीं कर पाता। तब प्रेम के डोपामाइन की जगह नफरत का नोरेपिनाफ्रिन रिलीज होता है। जब एक पूरी भीड़ इस स्थिति में हो तो मानवता कराहती है। धर्म हाशिए पर चला जाता है।

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