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दुनिया में जारी ट्रेड वॉर के बीच एल्युमीनियम की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण

वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने दुनिया में जारी ट्रेड वॉर के बीच एल्युमीनियम के रणनीतिक महत्व पर प्रकाश डाला और भारत को दुनिया का एल्युमीनियम केंद्र बनाने के लिए नीतिगत कोशिशों का आह्वान किया
रायपुर/ वर्तमान में चल रहे वैश्विक व्यापार युद्ध के दौरान भारत के पास सुनहरा मौका है कि वह खुद को वैश्विक एल्युमीनियम हब के रूप में स्थापित कर सकता है। ऐसे में, वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने एल्युमीनियम और स्टील की रणनीतिक भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया है। अपनी लिंक्डइन पोस्ट में श्री अग्रवाल ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि व्यापार गतिरोध, एल्युमीनियम और स्टील में किस तरह प्रमुख कमॉडिटीज़ के रूप में उभरे हैं, खासकर अमेरिका और उसके व्यापारिक साझेदारों के बीच के इस दौर में।

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संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा कनाडा और मैक्सिको जैसे करीबी सहयोगियों सहित सभी देशों से स्टील और एल्युमीनियम आयात पर 25 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगाए जाने के कारण वैश्विक धातु बाजार में बड़े पैमाने पर उथल-पुथल मची हुई है। इस टैरिफ के जवाब में भारत ने अपने घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए स्टील आयात पर 12 प्रतिशत सेफगार्ड ड्यूटी लागू कर दी है।

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श्री अग्रवाल ने इस कदम की प्रशंसा करते हुए कहा, ’’मैं स्टील पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने के लिए सरकार की सराहना करता हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार एल्युमीनियम के लिए भी इसी तरह का कदम उठाने पर विचार करेगी।’’

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उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एल्युमीनियम अपने हल्के वजन और रिसाइकिल करने योग्य गुणों के कारण रणनीतिक महत्व के मामले में स्टील से आगे निकलने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ’’आधुनिक अर्थव्यवस्थाएँ इन दो धातुओं पर टिकी हैं, चाहे वे हवाई अड्डे हों, रेलवे हों, घर हों, वाहन हों या मोबाइल फोन हों। लेकिन एल्युमीनियम का पलड़ा भारी है और भारत के विशाल बॉक्साइट भंडार के साथ हम वैश्विक स्तर पर नेतृत्व करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।’’

अपनी पोस्ट के साथ उन्होंने बॉक्साइट उत्पादक देशों का एक आकर्षक विज़ुअल भी डाला, जिससे पता चलता है कि इस मामले में ऑस्ट्रेलिया, गिनी और चीन जैसे अग्रणी देशों के समकक्ष भारत में भी महत्वपूर्ण क्षमता रखता है। श्री अग्रवाल ने बताया कि टैरिफ अवरोध के कारण पारंपरिक बाजारों तक पहुँच खोने वाले देश, भारत जैसे वैकल्पिक डेस्टिनेशन का जायज़ा लेंगे, जिससे नीति निर्माताओं के लिए घरेलू एल्युमीनियम सेक्टर का समर्थन करना महत्वपूर्ण हो जाता है।

उनके पोस्ट में कहा गया है, ’’अपने विशाल बॉक्साइट संसाधनों के साथ भारत दुनिया की एल्युमीनियम राजधानी बन सकता है। इससे न सिर्फ हमारी वैश्विक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि एक मजबूत डाउनस्ट्रीम उद्योग भी खुलेगा, जो रोजगार पैदा करेगा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।’’

भारत के एल्युमीनियम उद्योग में एक प्रमुख कंपनी, वेदांता एल्युमीनियम इस परिवर्तन में सबसे आगे रही है, जिसने रिफाइनिंग और स्मेल्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश किया है। श्री अग्रवाल का कहना है कि इस विषय पर उपयुक्त नीतियों पर ध्यान देना चाहिए, जिससे इस क्षेत्र के विकास को गति मिले और भारत की खनिज सम्पदा के बल पर दीर्घकालिक रणनीतिक लाभ उठाया जा सके। जिस प्रकार वैश्विक व्यापार पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा है, उसके मद्देनजर श्री अग्रवाल का संदेश है कि भारत को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए तथा धातुओं एवं मैन्युफैक्चरिंग के भविष्य में खुद को एक अग्रणी ताकत के रूप में स्थापित करने के लिए कदम उठाने की बेहद जरुरत है।

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Manoj Mishra

Editor in Chief

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