भोपाल: भारत में पंचायत व्यवस्था के तहत ग्राम पंचायतें गांवों के विकास की जिम्मेदारी संभालती हैं. शासन की योजनाओं को लागू करने और गांवों तक पहुंचाने में ये पंचायतें अहम भूमिका निभाती हैं. लेकिन हाल के दिनों में ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने शिकायत की है कि सरकार के टाइड और अनटाइड फंड के नियमों के कारण वे विकास कार्यों को पूरा करने में असमर्थ हैं. इन नियमों के चलते कई गांवों में जरूरी निर्माण कार्य और रोजगार सृजन प्रभावित हो रहे हैं.
क्या हैं टाइड और अनटाइड फंड के नियम?
सरकार ग्राम पंचायतों को उनके क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दो प्रकार के फंड देती है: टाइड फंड और अनटाइड फंड.
टाइड फंड:
इसे बंधा हुआ अनुदान कहा जाता है.इसका उपयोग केवल निर्धारित कार्यों, जैसे पेयजल आपूर्ति और स्वच्छता से जुड़े प्रोजेक्ट्स के लिए किया जा सकता है.अनटाइड फंड:
इसे मूल अनुदान कहा जाता है.इस फंड का इस्तेमाल बुनियादी ढांचे, जैसे सड़क निर्माण, सभा मंच निर्माण, और अन्य विकास कार्यों के लिए किया जाता है.फंड का असंतुलित अनुपात
सरपंचों का कहना है कि फंड का असंतुलित वितरण उनकी समस्याओं का मुख्य कारण है. बालाघाट जिले के सरपंचों ने आरोप लगाया है कि 60% बजट टाइड फंड के रूप में निर्धारित है, जिसे केवल सीमित कार्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है. दूसरी ओर, अनटाइड फंड, जो अन्य विकास कार्यों के लिए है, केवल 40% है. इस कारण सड़क निर्माण और अन्य महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स अटक रहे हैं. ग्राम पंचायत आंजनबिहरी के सरपंच दीपक पुष्पतोड़े ने कहा कि टाइड और अनटाइड फंड के अनुपात ने विकास कार्यों पर रोक लगा दी है. जब गांव वाले हमसे पूछते हैं कि सड़क या अन्य निर्माण कार्य क्यों नहीं हो रहे, तो हमारे पास कोई जवाब नहीं होता.