अश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा. यह सितंबर का अंतिम प्रदोष व्रत होगा. हर माह में प्रदोष व्रत 2 बार आता है. प्रदोष व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं. यह प्रदोष व्रत रविवार के दिन होने से रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा. प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजा के लिए करीब ढाई घंटे का शुभ मुहूर्त प्राप्त होगा. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि अश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत कब है? रवि प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?रवि प्रदोष व्रत 2024
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 29 सितंबर रविवार को शाम 4 बजकर 47 मिनट से होगा. यह तिथि अगले दिन 30 सितंबर को शाम 7 बजकर 6 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में प्रदोष पूजा मुहूर्त के आधार पर रवि प्रदोष व्रत 29 सितंबर को रखा जाएगा.साध्य योग में होगी शिव पूजा
जो लोग रवि प्रदोष व्रत रखना चाहते हैं, वे 29 सितंबर को उपवास रखकर भगवान महादेव की पूजा करेंगे. उस रोज पूरे दिन साध्य योग होगा. साध्य योग प्रात:काल से लेकर देर रात 12 बजकर 28 मिनट तक है. उसके बाद से शुभ योग बनेगा. प्रदोष वाले दिन मघा नक्षत्र है.रवि प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त
इस बार के रवि प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त शाम को 6 बजकर 9 मिनट से बन रहा है, जो रात 8 बजकर 34 मिनट तक मान्य है. ऐसे में शिव भक्तों को पूजा पाठ के लिए 2 घंटे 25 मिनट तक का शुभ समय प्राप्त होगा
पूजा मंत्र
शिव पूजा के लिए आपको सबसे आसान पंचाक्षर मंत्र का ओम नम: शिवाय का उच्चारण करना चाहिए. यह मंत्र जितना सरल है, उतना ही प्रभावशाली और लाभकारी भी है. पूजा के दौरान शिव आरती करना न भूलें. आरती करने से पूजा की कमियां दूर हो जाती हैं.
रवि प्रदोष व्रत के फायदे
सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है. शिव कृपा से सभी प्रकार के रोग, कष्ट, दुख आदि दूर हो जाते हैं. रवि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के रोग खत्म होते हैं और वह दीघार्यु होता है. महादेव के आशीर्वाद से धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि भी बढ़ती है.