रायपुर (श्रीकंचनपथ न्यूज़)। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के समक्ष छत्तीसगढ़ के नेताओं की बैठक के बाद भले ही पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को पीसीसी चीफ बनाए जाने की चर्चाएं सरगर्म हों, किन्तु उस बैठक में इसे लेकर किसी तरह की चर्चा नहीं होने की खबर है। पार्टी के भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि पीसीसी चीफ बनने की मंशा टीएस बाबा की हो सकती है, लेकिन पार्टी आलाकमान को फिलहाल नया अध्यक्ष बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। अलबत्ता, एआईसीसी में एक प्रभावी और बड़े ओबीसी चेहरे की जरूरत जरूर महसूस की जा रही है, जिसके लिए पूर्व सीएम भूपेश बघेल का नाम सुर्खियों में है। बघेल को एआईसीसी में महासचिव बनाया जा सकता है।
गौरतलब है कि दिल्ली दौरे से लौटने के बाद वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने बड़ा बयान दिया था। जिसके बाद से सियासी हलकों में यह चर्चा शुरू हो गई कि टीएस बाबा को पार्टी प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी में है। मीडिया ने जब टीएस सिंहदेव से बड़ी जिम्मेदारी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनने की इच्छा जाहिर की। हालांकि स्पष्ट रूप से उन्होंने यह कहा कि यदि पीसीसी अध्यक्ष की जिम्मेदारी उन्हें मिलती है तो वे इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने संगठन में किसी भी तरह की जिम्मेदारी मिलने पर काम करने की इच्छा जाहिर की थी। इसके बाद से ही इन कयासों को बल मिला कि छत्तीसगढ़ में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर पार्टी सिंहदेव का नाम आगे बढ़ा सकती है। टीएस के बयान के बाद राज्य की कांग्रेसी राजनीति में भी हलचल देखी गई। हालांकि बड़ी जिम्मेदारी मिलने के सवाल पर टीएस बाबा ने कहा कि अभी ऐसा कुछ भी नहीं है। यह सिर्फ अटकलें है और यह अटकलें इसलिए लग रही है, यह ओडिशा का इफेक्ट है। बहुत समय बाद कांग्रेस में देखने को मिला है कि ओडिशा की पूरी बॉडी को ही भंग कर दिया गया।
कैप्टन का बदलाव स्वाभाविक
मीडिया से चर्चा में टीएस बाबा ने कहा कि पिछली पराजय से ठोकर मिली है। इससे सबक तो लेना ही चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि लम्बे समय से जो कैप्टन है, उनका बदलाव स्वाभाविक है। उनके इस बयान से भी राजनीतिक पंडितों को कयास लगाने का मौका मिला कि वर्तमान पीसीसी चीफ दीपक बैज की जगह नया अध्यक्ष जल्द ही छत्तीसगढ़ कांग्रेस को मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि राज्य में पिछले साल के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। टीएस सिंहदेव खुद भी सरगुजा विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे। टीएस सिंहदेव की गिनती छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सबसे अनुभवी नेताओं में होती है। वे 2008 से 2018 तक लगातार तीन बार विधानसभा का चुनाव जीते। इस दौरान उन्होंने 2013 से 2018 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई, जबकि 2018 से 2023 तक वे बघेल सरकार में मंत्री और उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। टीएस सिंहदेव सरगुजा के वर्तमान महाराजा भी हैं। वे सरगुजा की गद्दी पर बैठने वाले अंतिम शासक है, जिसका मुख्यालय अंबिकापुर में है। विधानसभा चुनाव के बाद से सिंहदेव पहली बार एक्टिव नजर आ रहे हैं। दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं से भी उनकी मुलाकात हुई है। संभवत: इसीलिए माना जा रहा है कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
खरगे-राहुल का तय हुआ दौरा
कांग्रेस जाति जनगणना को लेकर देशभर में अभियान चलाने जा रही है। इस कड़ी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिाकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 20 अगस्त से सभी राज्यों का दौरा करेंगे। इसके लिए छत्तीसगढ़ में भी आएंगे। इसके मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस कमेटी को कहा गया है कि वो 20 से 31 अगस्त के बीच का एक कार्यक्रम तैयार कर भेजें। इसके आधार पर छत्तीसगढ़ में राहुल और खरगे का दौरा तय होया। वहीं, दूसरी ओर दिल्ली से लौटने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने संगठन में बड़े बदलाव की चर्चा को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि बैठक में बदलाव को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। बता दें कि राजनीतिक गलियारों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की चर्चा है। हालांकि, इसका फैसला शीर्ष नेतृत्व को ही करना है। दिल्ली में सभी प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों को यात्रा की तैयारियों के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश अध्यक्ष बैज दिल्ली से लौटने के बाद बैठकें लेंगे और जिलों का दौरा करेंगे। जाति जनगणना कराने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को जागरूक करने के साथ प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वो लोगों के बीच इसको लेकर गलतफहमियों को दूर कर सकें।
भूपेश को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे और राहुल गांधी से अलग-अलग चर्चा की। इसके बाद संगठन में बदलाव की चर्चा ने जोर पकड़ा है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि बघेल को ओबीसी चेहरे के रूप में आगे करते हुए एआईसीसी में महासचिव बनाया जा सकता है। हालांकि पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर टीएस सिंहदेव ने स्पष्ट कहा कि दिल्ली की बैठक में सिर्फ हार के कारणों पर चर्चा हुई है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धनेन्द्र साहू ने भी स्पष्ट किया कि दिल्ली-बैठक में संगठन में बदलाव को लेकर किसी तरह की चर्चा नहीं हुई है। एआईसीसी की बैठक के बाद बड़ी जिम्मेदारी या महासचिव बनाने की लेकर भूपेश बघेल ने कहा, एआईसीसी लगातार अलग-अलग समय में जिम्मेदारियां देती रही है। जब मुख्यमंत्री था, तब भी बड़ी जिम्मेदारी दी गई थी। अब क्या जिम्मेदारी मिलेगी, वह हाई कमान तय करेगा। जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव में भी जिम्मेदारी मिलेगी तो बखूबी निभाया जाएगा। निकाय चुनाव में भी जिम्मेदारी मिलेगी तो काम करेंगे।
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