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सिर्फ 3 महीने मिलता है यह छुटकू फल, डायबिटीज का बजा देता है बैंड, इसकी गुठलियां भी बेहद कमाल

अक्सर कहा जाता है कि सेहतमंद रहने के लिए लोगों को मौसमी फलों का खूब सेवन करना चाहिए. मौसम जैसे-जैसे बदलता रहता है, वैसे-वैसे अलग-अलग फलों का लुत्फ उठाने का मौका मिलता रहता है. कुछ फल सालभर मिलते हैं, तो कई फल सिर्फ कुछ महीने के लिए बाजार में आते हैं. इनमें से एक जामुन है, जो जून से अगस्त के बीच में आता है. जामुन को अंग्रेजी में जावा प्लम और ब्लैक प्लम भी कहा जाता है. आयुर्वेद में इस फल को शुगर के मरीजों के लिए रामबाण औषधि माना गया है. इतना ही नहीं, इसकी गुठलियों को भी डायबिटीज कंट्रोल करने वाला बताया गया है.जामुन और इसकी गुठलियों को आयुर्वेद में डायबिटीज के मरीजों के लिए अत्यंत लाभकारी बताया गया है. जामुन में कसाय रस होता है, जो शरीर में जाकर मधुर रस यानी ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है. जामुन में विटामिन सी, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट समेत तमाम पोषक तत्वों का भंडार होता है. जामुन में कार्बोहाइड्रेट और फ्रक्टोस की मात्रा कम होती है, जिसकी वजह से यह ब्लड शुगर नहीं बढ़ाता है. जामुन को ब्लैक कलर देने वाला गमेंट डायबिटीज से होने वाली ऑक्सीडेटिव डैमेज को रोक सकता है.डॉक्टर सरोज गौतम ने बताया कि जामुन और इसकी गुठलियों का चूर्ण बनाकर खाने से डायबिटीज के मरीजों की पेशाब में आने वाली शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है. इससे डायबिटीज के मरीजों को बार-बार यूरिनेशन की समस्या से राहत मिल सकती है. जामुन पेट की सेहत सुधारने में बेहद असरदार माना जा सकता है. यह फल पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है. जामुन खाने से हार्ट डिजीज और ब्रेन प्रॉब्लम्स का खतरा भी कम किया जा सकता है. ओवरऑल हेल्थ के लिए जामुन को अमृत समान माना जा सकता है. गर्मियों में जामुन सबसे ज्यादा पौष्टिक फलों में शुमार है.अब सवाल है कि जामुन की गुठलियों का चूर्ण कैसे और कब लेना चाहिए? आयुर्वेद एक्सपर्ट की मानें तो जामुन की गुठलियों का 3 ग्राम यानी करीब एक चम्मच चूर्ण लोगों को खाने से एक घंटा पहले या एक घंटा बाद लेना चाहिए. शुगर के मरीजों को इस चूर्ण का सेवन सुबह और शाम को करना चाहिए. हालांकि अगर आपका शुगर लेवल बहुत ज्यादा है या बार-बार फ्लक्चुएट करता है, तो आप जामुन या इसकी गुठलियों के चूर्ण का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं. हालांकि जामुन या इसकी गुठलियों के साइड इफेक्ट का खतरा न के बराबर होता है.

Manoj Mishra

Editor in Chief

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