🌹🌹श्री अगस्त्य ऋषि की पावन तपस्थली बैंकटेश हाल गणपति पैलेस में नवम् रात्रि – महिला रामलीला मंचन – लक्ष्मण शक्ति एवं कुम्भकरण वध 🌹🌹
*लक्ष्मण शक्ति मंचन देखकर दर्शक हुए भाव – विभोर*
श्री अगस्त्य ऋषि की पावन तपस्थली में हिमालयन वीरांगना संस्था के तत्वावधान में महिला श्री रामलीला समिति अगस्त्यमुनि जनपद रुद्रप्रयाग के द्वारा आयोजित श्री रामलीला मंचन के नवम दिवस का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि लोक गायक एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे श्री विजय चमोला जी (प्रधानाचार्य) गौरी मेमोरियल पब्लिक इ० का० विजयनगर, रुद्रप्रयाग,
कार्यक्रम अध्यक्ष बहुमुखी प्रतिभा के धनी रंग कर्मी, सामाजिक सरोकारों से जुड़े आदर्श शिक्षक एवं जनपद के नहीं बल्कि उत्तराखण्ड के गौरव के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले श्री लखपत सिंह राणा जी (चेयरमैन) डाॅ० जैक्सवीन नेशनल पब्लिक स्कूल गुप्तकाशी, रुद्रप्रयाग, विशिष्ट अतिथि-श्रीमती सुमन जमलोकी (जिला महामंत्री) महिला मोर्चा भाजपा, रुद्रप्रयाग, श्रीमती रागिनी नेगी जी (प्रधानाचार्या) रा० बा० इ० का० अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, श्री कैलाश पटवाल जी (अधिशासी अधिकारी) नगर पंचायत अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, श्री प्रदीप जिरवाण जी(प्रतिष्ठित व्यवसायी) अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, श्रीमती शाकम्बरी खत्री जी (अध्यक्ष) कीर्तन मण्डली अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, श्रीमती बस्ती गोस्वामी जी (कोषाध्यक्ष)कीर्तन मण्डली अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, श्रीमती आशा कण्डारी (सचिव) कीर्तन मण्डली अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, श्रीमती देवेश्वरी भट्ट जी(सदस्य) कीर्तन मण्डली अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, श्रीमती निर्मला गैरोला(अध्यक्ष) सिंह वाहिनी सांस्कृतिक समिति कण्डारा, रुद्रप्रयाग, श्रीमती विलोचना रावत(कोषाध्यक्ष) सिंह वाहिनी सांस्कृतिक समिति कण्डारा, रुद्रप्रयाग, श्रीमती सन्तोष रावत(सचिव)सिंह वाहिनी सांस्कृतिक सचिव कण्डारा, रुद्रप्रयाग, श्री विवेक बुटोला जी (अध्यक्ष) अगस्त्य टैक्सी यूनियन अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, श्री अखिलेश भट्ट जी (सचिव)टैक्सी यूनियन अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग, श्री राजीव बर्त्वाल जी (कोषाध्यक्ष) अगस्त्य टैक्सी यूनियन, अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग एवं अन्य सभी आमंत्रित अतिथियों
के करकमलों से हुआ। अपने सम्बोधन में श्री लखपत सिंह राणा जी ने कहा कि क्षेत्र में अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने के लिए ऐसे आयोजनों का होना आवश्यक है। महिलायें जहाँ घरेलू काम-काजों में चाहर दीवारी तक ही सीमित रहती थी वहीं आज रामलीलाओं का कुशल मंचन कर रही हैं, जो कि महिला सशक्तिकरण का एक प्रत्यक्ष उदाहरण है और यह हमारे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। श्री विजय चमोला जी ने अपने संबोधन में कहा कि वीरांगना संस्था की अध्यक्ष श्रीमती माधुरी नेगी की अभिनव पहल से महिलाओं को आत्मबल मिलेगा। जिस आत्मविश्वास के साथ महिलाएंँ अभिनय कर रही हैं उससे तो प्रतीत हो रहा है कि निःसन्देह काबिले तारीफ है। इस मौके पर समिति की अध्यक्ष और इस सबकी मुख्य सूत्रधार श्रीमती माधुरी नेगी ने सभी का हार्दिक आभार व्यक्त किया है उन्होंने कहा कि हमारा यह प्रयास सफल होने जा रहा है। श्री रामलीला मंचन का महायज्ञ को पूरी तरह सफल बनाने के लिए श्री अनूप सेमवाल के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है जिन्होंने वेडिंग प्वॉइंट को उपलब्ध कराया, कार्यक्रम के अन्य सूत्रधारों में श्रीमती कुसुम भट्ट, श्रीमती ललिता रौतेला व श्रीमती सत्येश्वरी रौथाण जी, रामलीला समिति की अध्यक्ष सावित्री खत्री जी, संरक्षक सर्वेश्वरी गुसाईं जी, शाकम्बरी खत्री जी, जगदम्बा रावत जी सहित सभी बहनों, संगीत निर्देशक श्री बी०पी० बमोला जी रिहर्सल से लेकर और मंचन तक सहयोग कर रहे श्री सुशील गोस्वामी जी, साज सज्जा में सहयोग कर रहे श्री भूपेंद्र बेंजवाल, नवीन विष्ट, प्रकाश बड़वाल, तबला वादक अनिरुद्ध भट्ट एवं मा० अमन नेगी, मंच व्यवस्था रजत थपलियाल, नवीन जी व ताजबीर विष्ट जी, अभिनय कर रहे सभी पात्र, व्यवस्थाओं में लगे कमला देवशाली जी, सत्येश्वरी नेगी जी, अमिता नेगी जी, कुसुम नेगी जी, प्रभा भट्ट जी सरला भट्ट जी, सुशीला सकलानी जी, अनीता राणा जी, रेणु मलासी जी, पंकज पुरोहित जी, विक्रम नेगी जी, गंगा राम सकलानी जी, श्रीनन्द जमलोकी जी, मठाधीश योगेन्द्र बेंजवाल जी, चन्द्र सिंह नेगी जी, देवी प्रसाद भट्ट जी, शम्भू प्रसाद भट्ट जी, मनीषा पुरोहित जी, रोशनी नेगी जी, शर्मिला बगवाड़ी जी, उमा कैंतुरा जी, विनीता रौतेला जी, अनिता रावत जी, अनीता चौधरी जी, रामेश्वरी बुटोला जी, सुशीला भण्डारी जी, सरिता भट्ट जी, देवेश्वरी नेगी जी, रौथाण साउण्ड सिस्टम, अगस्त्य रामलीला कमेटी के समस्त पदाधिकारियों एवं दर्शकों की अहम भूमिका रामलीला मंचन के लिए सराहनीय रही है। ऐसा श्रीमती माधुरी नेगी जी का कहना था।
*महिला रामलीला मंचन के नवम दिवस में*
*श्री माँ दुर्गा की वन्दना के बाद रावण दरबार का दृश्य और रावण के पात्र का उत्कृष्ट प्रदर्शन, मेघनाद-लक्ष्मण संवाद(दोनों पात्रों का उत्कृष्ट प्रदर्शन), सुषैन-राम संवाद, राम जी विलाप, हनुमानजी का रौद्र रूप, भरत-हनुमान संवाद, मेघनाद हनुमान संवाद, कुम्भकरण का अभिनय विशेष सराहनीय रहे। श्री दुर्गा वन्दना के बाद मंचन के प्रथम दृश्य में श्रीराम द्वारा लंका पर आक्रमण किए जाने की योजना बनाई गई। सभी वानरों ने लंका को चारों ओर से घेर लिया तभी रावण की आज्ञानुसार मेघनाद युद्ध करने के लिए आया। सर्वप्रथम उसकी मुलाकात हनुमान जी से होती है जहांँ दोनों के बीच जमकर संवाद होता है। बाद में लक्ष्मण के आने के बाद मेघनाद व लक्ष्मण संवाद प्रारंभ हो जाता है। दोनों के संवादों का बैठे दर्शकों ने अनंद लिया तथा तालियां बजाकर कलाकारों का उत्साहवर्द्धन भी किया। अंत में मेघनाद, लक्ष्मण पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करता है जिसके* *फलस्वरूप लक्ष्मण मूर्छित होकर जमीन पर गिर जाते हैं। हनुमान जी उन्हें वहां से उठाकर राम दल में ले आते हैं जहांँ प्रभु राम लक्ष्मण जी की हालत को देखकर बिलख-बिलख कर रो पड़ते हैं। रामजी का विलाप सुनकर दर्शक भी अपने आंसू नहीं रोक सके। इसी बीच विभीषण की सलाह पर जामवंत द्वारा लंका से सुषेन वैद्य को लाने की बात कही जाती है जिस पर हनुमानजी लंका जाकर सुषेन वैद्य को ले आते हैं। सुषेन वैद्य संजीवनी बूटी द्वारा ही लक्ष्मण जी के उपचार करने की युक्ति बताने के साथ ही कहते हैं यदि सूर्योदय से पूर्व संजीवनी बूटी नहीं आई तो लक्ष्मण जी के प्राण बचाना असंभव होगा। उसी समय तत्काल हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए चले जाते हैं।* *रास्ते में कालनेमि नामक राक्षस अपनी तमाम माया फैलाकर हनुमान जी का रास्ता रोकने का प्रयास करता है। वहीं कालनेमि स्वयं एक साधु का रूप धारण कर हनुमान जी को गुरूमंत्र दिए जाने को कहता है तभी तालाब में स्नान करने गए हनुमान जी को एक मछली कालनेमि की माया के बारे में बता देती है तब हनुमान जी कालनेमि की माया को समाप्त करते हैं। और सुषेन वैद्य द्वारा बताए गए पर्वत पर संजीवनी बूटी लाने के लिए पहुंचते हैं परंतु जब वह पर्वत पर विविध प्रकार की बूटियों में संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पाते हैं तो वह पूरा पर्वत लेकर रामादल की ओर चल देते हैं। वहीं बीच में जब हनुमान जी पर्वत लेकर अयोध्या के ऊपर से गुजरते हैं तो भरत ने उन्हें कोई राक्षस समझकर एक ही वाण से घायलकर जमीन पर गिरा दिया जाता है । अंत में हनुमान जी भरत को पूरी कथा बताकर रामादल पहुंचते हैं जहांँ सुषेन वैद्य संजीवनी बूटी से लक्ष्मण का उपचार करते हैं। रावण को लक्ष्मण के जिंदा होने की खबर प्राप्त होती है। वह मेघनाद को आराम की सलाह देता है व कुम्भकरण को जगाता है। कुम्भकरण युद्ध भूमि में जाकर श्री राम के वाणों मारा जाता है।*
*यहाँ तक लीला दिखाई गयी। आज की लीला, मेघनाद, अहिरावण व रावण वध दिखायी जायेगी।*
*श्री राम लीला मंचन में प्रमुख पात्रों का अभिनय – श्री राम जी की भूमिका में श्रीमती शिखा नेगी, लक्ष्मण की भूमिका में-आस्था नेगी अंगद की भूमिका-नेगी भट्ट, सीता – नेहा नेगी, विभीषण- श्रीमती-रामेश्वरी रौथाण, सुग्रीव- सत्येश्वरी रौथाण, हनुमान जी की भूमिका में- सुशील गोस्वामी, मेघनाद – बीना पंवार, जाम्वन्त- रिया रावत, रावण – देवेश्वरी नेगी मन्दोदरी- अमिता नेगी,भरत – आंचल सेमवाल, नल-अनमोल नील- रागिनी, सुषैन वैद्य- अनीता रावत, मंत्री- विनीता रौतेला व रेणु मलासी।*
*सभी पात्रों ने अच्छा अभिनय कर खूब तालियाँ बटोरी। मंच संचालन माधुरी नेगी व कुसुम भट्ट ने किया।*
*अन्य प्रमुख अतिथियों में ग्राम सभा जहंगी के प्रधान सहित कई ग्रामीण, श्री देवी प्रसाद भट्ट जी, श्री शम्भू प्रसाद जी, कमलेश जमलोकी, सौरभ विष्ट, जीतेन्द्र रावत, चन्द्र सिंह नेगी आदि उपस्थित थे।*