प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वहीं प्रदोष व्रत एक महीने में 2 बार आता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा से व्रत रखकर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा- अर्चना करता है। तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। वहीं आपको बता दें कि साल का पहला सोम प्रदोष व्रत 20 मई, 2024 दिन सोमवार को रखा जाएगा। सोमवार को पड़ने की वजह से इसे सोम प्रदोष के नाम से जाना जाता है। वहीं हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे स्त्रोत के बारे में जिसका पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न हो सकते हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है। आइए जानते हैं ये स्त्रोत कौन सा है…
जय देव जगन्नाथ जय शंकर शाश्वत ।
जय सर्वसुराध्यक्ष जय सर्वसुरार्चित ।।
जय सर्वगुणातीत जय सर्ववरप्रद ।
जय नित्यनिराधार जय विश्वम्भराव्यय ।।
जय विश्वैकवन्द्येश जय नागेन्द्रभूषण ।
जय गौरीपते शम्भो जय चन्द्रार्धशेखर ।।
जय कोट्यर्कसंकाश जयानन्तगुणाश्रय ।
जय भद्र विरुपाक्ष जयाचिन्त्य निरंजन ।।
जय नाथ कृपासिन्धो जय भक्तार्तिभंजन ।
जय दुस्तरसंसारसागरोत्तारण प्रभो ।।
प्रसीद मे महादेव संसारार्तस्य खिद्यत: ।
सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ।।
महादारिद्रयमग्नस्य महापापहतस्य च ।
महाशोकनिविष्टस्य महारोगातुरस्य च ।।
ऋणभारपरीतस्य दह्यमानस्य कर्मभि: ।
ग्रहै: प्रपीड्यमानस्य प्रसीद मम शंकर ।।
दरिद्र: प्रार्थयेद् देवं प्रदोषे गिरिजापतिम् ।
अर्थाढ्यो वाऽथ राजा वा प्रार्थयेद् देवमीश्वरम् ।।
दीर्घमायु: सदारोग्यं कोशवृद्धिर्बलोन्नति: ।
ममस्तु नित्यमानन्द: प्रसादात्तव शंकर ।।
शत्रव: संक्षयं यान्तु प्रसीदन्तु मम प्रजा: ।
नश्यन्तु दस्यवो राष्ट्रे जना: सन्तु निरापद: ।
दुर्भिक्षमारिसंतापा: शमं यान्तु महीतले ।
सर्वसस्यसमृद्धिश्च भूयात् सुखमया दिश: ।।
एवमाराधयेद् देवं पूजान्ते गिरिजापतिम् ।
ब्राह्मणान् भोजयेत् पश्चाद् दक्षिणाभिश्च पूजयेत् ।।
सर्वपापक्षयकरी सर्वरोगनिवारिणी ।
शिवपूजा मयाख्याता सर्वाभीष्टफलप्रदा