रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण 2000 में हुआ तक अजीत जोगी के नेतृत्व में राज्य में पहली सरकार बनी। जोगी के कैबिनेट में कुल 24 मंत्री थे। वहीं, 2003 में जब डॉ. रमन सिंह ने पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली तब उनकी कैबिनेट में 17 मंत्री थे, लेकिन एक साल बाद ही डॉ. रमन को अपने मंत्रिमंडल के 5 सदस्यों की छुट्टी करनी पड़ गई थी। ऐसा केंद्र सरकार की तरफ से कानून में किए गए संशोधन की वजह से करना पड़ था। केंद्र सरकार ने 2003 में एक कानून पास किया, जिसके तहत किसी भी राज्य में उसके विधायकों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक सदस्यों को मंत्री नहीं बनाया जा सकता। छत्तीसगढ़ की विधानसभा में कुल 90 सदस्य हैं, ऐसे में यहां मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित कुल 13 सदस्य शामिल हो सकते हैं। इसी कारण 2004 में डॉ. रमन को 17 में से अपने 5 मंत्रियों की छुट्टी करनी पड़ी थी।
2003 में जब भाजपा की पहली बार सरकार बनी तब रमन मंत्रिमंडल में सीएम सहित 18 मंत्री थे। इसमें अजय चंद्राकर, अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल, गणेशराम भगत, हेमचंद यादव, मेघाराम साहू, ननकी राम कंवर, राम विचार नेताम और विक्रम उसेंडी कैबिनेट मंत्री थे। वहीं, केदार कश्यप, डॉ. कृष्णा मूर्ति बांधी, महेश बघेल, पूनम चंद्राकर, राजेश मूणत, राजेन्द्र पाल सिंह भाटिया, रेणुका सिंह और सत्यानंद राठिया राज्य मंत्री थे। इसमें से पांच जिनमें विक्रम उसेंडी, पुनम चंद्राकर, राजेंद्र पाल सिंह सहित दो अन्य को छह महीने बाद हटा दिया गया था।
जानिए मंत्रिमंडल को लेकर क्या है संविधान में व्यवस्था
एक वक्त था जब इसी राज्य में मंत्रियों की संख्या 24 तक हुआ करती थी, लेकिन 2003 में केंद्र सरकार ने एक ऐसा कानून बनाया जिसकी वजह से न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देश के बाकी राज्यों में भी मंत्रियों की संख्या घट गई। छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव गंगराड़े के अनुसार 2003 में संविधान एक संशोधन किया गया। संविधान 91वां संशोधन अधिनियम 2003 के अनुच्छेद 164 में खंड 1ए को शामिल किया गया। इसके अनुसार किसी राज्य के मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या राज्य विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।